मोसुल: इराक पिछले 4 सालों से आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) का आतंक झेल रहा है, उसमे भी सबसे ज्यादा प्रताड़ित यज़ीदी धर्म के लोगों को किया जा रहा है. इराक में अभी भी यज़ीदी धर्म के 3000 से ज्यादा बच्चे और महिलाऐं लापता हैं, या तो उन्हें आईसआईएस द्वारा मार दिया गया है या फिर वे आईएसआईएस की क़ैद में हैं.
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आईएसआईएस के आतंकी यज़ीदी मूल की महिलाओं और बच्चियों को बंधक बनाकर ले जाते हैं और सीरिया, रक़्क़ा और मोसुल के ग़ुलाम बाजार में उन्हें बेच देते हैं. इनमे 8 साल तक की बच्चियां भी शामिल हैं. बुजुर्ग औरतों और पुरुषों को आतंकियों द्वारा मार दिया जाता है और जवान महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म कार उन्हें ग़ुलाम बाजार में बिकने के लिए छोड़ दिया जाता है. कई लड़कियों को खुद आईएसआईएस के आतंकियों द्वारा गुलाम बनाकर रखा जाता है और उनके साथ बर्बरतापूर्ण व्यव्हार किया जाता है.
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सऊदी अरब के जवानों द्वारा आईएसआईएस से छुड़ाई गई एक महिला ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा है कि "मेरे साथ रोज़ बलात्कार किया जाता था, अगर मैं मना करती तो मुझे कहा जाता, अगर तुम नहीं मानी तो कुछ और लोगों को बुला लिया जाएगा, जो तुम्हारे साथ बारी-बरी से रेप करेंगे." महिला बताती है कि "ये बहुत दर्दनाक अनुभव था, मैं मर जाना चाहती थी." एक अन्य लड़की ने बताया है कि जब उसे बंदी बनाया गया तो वो महज 8 साल की थी, उसे 8 महीने में कई बार बेचा गया और इतने समय में रोज़ाना कई बार उसके साथ रेप किया जाता था. आपको बता दें कि इससे पहले भी अगस्त 2014 में आतंकियों ने इराक के सिंजर शहर में हमला किया था, जहाँ बड़ी मात्रा में यज़ीदी लोग रहा करते थे, इस हमले में आतंकियों ने 5 लाख से ज्यादा यज़ीदियों का नरसंहार किया था.
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