एक न्यूजपेपर में छपे विज्ञापन के अनुसार, मोदी सरकार को लैटरल एंट्री के तहत 10 ज्वाइंट सेक्रेटरी के पोस्ट के लिए 'टैलेंटेड और मोटिवेटेड' भारतीयों को खोज रही है जो DOPT की अधिसूचना के तहत राजस्व, वित्तीय सेवा, आर्थिक मामले, कृषि, किसान कल्याण, सड़क परिवहन और हाइवे, शिपिंग, पर्यावरण विभाग में ज्वॉइंट सेक्रेटरी का कार्यभार संभाल सके. इस पर कांग्रेस प्रवक्ता पीएल पुनिया ने कहा कि सरकार ने सत्ताधारी पार्टी के लोगों को भर्ती करने के लिए यह कदम उठाया है. यह पूरी तरह गलत है. सरकार प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले अपने करीबियों के अतिरिक्त आरएसएस, बीजेपी और उससे संबंधित संगठनों के लोगों को भर्ती करेगी.
पुनिया ने कहा, "ये लोग निष्पक्ष या तटस्थ नहीं रहेंगे और सरकार की योजनाओं को प्रभावित करने का प्रयास करेंगे. यह राष्ट्रीय हित में नहीं है." उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार, चुने गए प्रमुखों को देश का नागरिक होना चाहिए, जबकि विज्ञापन बताता है कि योग्य व्यक्तियों को भारतीय होना चाहिए. पुनिया ने कहा इसे देखे जाने की जरूरत है. क्या वे एनआरआई को सरकार में लाने की कोशिश कर रहे हैं ? क्योंकि अबतक उन्हें अनुमति नहीं है.
सरकार के कदम पर सीपीआई(एम) के महासचिव सीतारमा येचुरी ने कहा कि यह 'संघियों' को प्रशासनिक रैंक देने के लिए की गई कोशिश है. ट्विटर पर सीताराम येचुरी ने कहा, "समयबद्ध यूपीएससी और एसएससी को कमतर करने की कोशिश क्यों की जा रही है? बीजेपी के पिछले कुछ महीनों के कार्यकाल में संघियों को आईएएस रैंक देने और रिजर्वेशन को खत्म करने के प्रयास किए जा रहे हैं."
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