पतञ्जलि योगसूत्र के रचनाकार है जो हिन्दुओं के छः दर्शनों में से एक है. भारतीय साहित्य में पतञ्जलि के लिखे हुए 3 मुख्य ग्रन्थ मिलते हैः योगसूत्र, अष्टाध्यायी पर भाष्य और आयुर्वेद पर ग्रन्थ. कुछ विद्वानों का मत है कि ये तीनों ग्रन्थ एक ही व्यक्ति ने लिखे; अन्य की धारणा है कि ये विभिन्न व्यक्तियों की कृतियाँ हैं.
पतंजलि ने पाणिनी के अष्टाध्यायी पर अपनी टीका लिखी जिसे महाभाष्य कहा जाता है. इनका काल लगभग 200 ईपू माना जाता है. पतंजलि ने इस ग्रंथ की रचना कर पाणिनी के व्याकरण की प्रामाणिकता पर अंतिम मोहर लगा दी थी. महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ होने के साथ-साथ तत्कालीन समाज का विश्वकोश भी है.
पतञ्जलि काशी में ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में विद्यमान थे. इनका जन्म गोनार्ध (गोण्डा, उत्तर प्रदेश) में हुआ था पर ये काशी में नागकूप पर बस गये थे. ये व्याकरणाचार्य पाणिनी के शिष्य थे. पतंजलि एक महान चकित्सक थे और इन्हें ही कुछ विद्वान 'चरक संहिता' का प्रणेता भी मानते हैं. पतंजलि रसायन विद्या के विशिष्ट आचार्य थे- अभ्रक, विंदास, धातुयोग और लौहशास्त्र इनकी देन है. पतंजलि संभवत: पुष्यमित्र शुंग (195-142 ईपू) के शासनकाल में थे. राजा भोज ने इन्हें तन के साथ मन का भी चिकित्सक कहा है.
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