लखनऊ : योगी सरकार ने अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस की जांच के आदेश दिए हैं. दस जिलों के डीएम को भेजे पत्र में सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वो पिछले 18 महीने में हुए जमीन खरीद के हर मामले की जांच करें. इस जांच के दायरे में एक्सप्रेस वे किनारे के करीब 230 गांव आएंगे. इस चर्चित परियोजना में आरोप ये भी है कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए उनकी कृषि वाली जमीन को रिहाइशी जमीन की श्रेणी में दिखाया गया है, ताकि उन्हें सरकार से ज्यादा मुआवजा मिल सके. इस एक्सप्रेस वे के सर्वे के लिए योगी सरकार ने सरकारी सर्वे एजेंसी RITES से संपर्क किया है.
बता दें कि अखिलेश सरकार के कार्यकाल में इसे बहुत बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा था.यूपी चुनाव से पहले यह मामला सुर्खियों में थ, लेकिन अब योगी सरकार के इस फैसले से अखिलेश सरकार पर सवाल खड़े होने लगे हैं. उल्लेखनीय है कि लखनऊ-आगरा के बीच छह लेन वाला यह एक्सप्रेस-वे 302 किलोमीटर लम्बा है.
लखनऊ-आगरा के बीच उन्नाव में एक्सप्रेस-वे पर हवाई पट्टी बनी है, जहां जरूरत पड़ने पर लड़ाकू विमान भी उतारे जा सकते हैं. एक्सप्रेस-वे पर हवाई पट्टी तीन किलोमीटर लंबी है. एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए 10 जिलों के 232 गांवों में लगभग 3,500 हेक्टेयर भूमि 30,456 किसानों की सहमति से खरीदी थी . जमीन के लिए भुगतान को छोड़कर परियोजना की अनुमानित लागत 11526.73 करोड़ रुपये तय की गई थी.
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