भारत की संसद से पास होने के बाद से नागरिक संशोधन कानून का सबसे अधिक विरोध देखने को मिला है. वही, (CAA) के खिलाफ लखनऊ में हिंसा फैलाने वालों के फोटोयुक्त बैनर-पोस्टर सार्वजनिक स्थलों से हटाने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मामले में नए सिर से विधिक राय ले रही है. सूत्रों का कहना है हाई कोर्ट के आदेश पर विभिन्न विधिक बिंदुओं पर मंथन किया जा रहा है. हालांकि वरिष्ठ अधिकारी इसे लेकर सीधे कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं. सरकार के पास बैनर-पोस्टर हटाने के लिए 16 मार्च तक का समय है.
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हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ योगी सरकार ने नया रास्ता अपनाया है. उन्होने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हाई कोर्ट के आदेश से उपजे हालात पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने सोमवार को लोकभवन में अफसरों के साथ बैठक भी की थी. बैठक में लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश, पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय और न्याय विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे. इस बैठक के बाद ही सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय किया था.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इलाहाबाग हाई कोर्ट ने लखनऊ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के फोटो लगे बैनर व पोस्टर को सार्वजनिक स्थलों से हटाने का आदेश देते हुए 16 मार्च को जिलाधिकारी लखनऊ व महानिबंधक से अनुपालन रिपोर्ट तलब की है. सार्वजनिक स्थानों पर 57 प्रदर्शनकारियों के फोटोयुक्त पोस्टर-बैनर लगाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हाई कोर्ट के आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई है। गुरुवार रात को भी वरिष्ठ अधिकारियों ने आगे के कदम को लेकर गहन मंथन किया.
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