लखनऊ: प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 'पराली दो-खाद लो' योजना की शुरुआत की है. इस योजना के माध्यम से यूपी सरकार किसानों से पराली लेगी और उसके बदले उन्हें खाद दिया जाएगा. किसानों से जुटाई गई पराली का गोशालाओं में चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. बची हुई पराली से खाद भी बनाई जाएगी. पराली को लेकर होने वाले विवाद और इसको जलाने से वातावरण को होने वाले नुकसान के मद्देनज़र यूपी सरकार की ये योजना राहत भरी हो सकती है.
अपर मुख्य सचिव, कृषि डॉ देवेश चतुर्वेदी ने तमाम डीएम को इस संबंध में पत्र लिखा है. उन्होंने इस बात के आदेश जारी किया है कि फसल अवशेष और पराली को किसानों द्वारा जलाने से रोकने और उसके सही इस्तेमाल के लिए ज़िले में संचालित गोशालाओं की सहायता ली जाए. संरक्षित गोवंश के गोबर से निर्मित खाद को पराली से बदला जाए. किस-किस किसान को पराली के बदले खाद दी गई इसकी भी पूरी जानकारी रखी जाएगी. ग्राम समिति को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. इस आदेश के बाद ज़िला प्रशासन ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है.
श्रावस्ती ज़िले में इस योजना पर कार्य करने वाले CDO ईशान प्रताप सिंह कहते हैं कि अभी तक ज़िले में किसानों से 77 टन पराली ली जा चुकी है. ज़िले की सभी 38 गोशालाओं को इससे जोड़ा जा रहा है. जो भी किसान हमसे सम्पर्क कर रहे हैं, उन्हें इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. 5 टन पराली के एवज में 1 टन खाद दिया जा रहा है. इसी तरह सभी ज़िलों में पराली प्रबंधन किया जाएगा जिसमें स्थानीय स्तर पर कुछ संशोधन हो सकते हैं.
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