प्राचीन काल से चली आ रही देवी देवताओं को पुष्प चढ़ाने कि परम्परा आज भी कायम है, ऐसा माना जाता है कि देवी देवताओं को पुष्प चढ़ाने से वह जल्दी प्रसन्न होते है धार्मिक कार्यो में भी फूलों कि बहुत मान्यता है हिन्दू धर्म के अनुसार बिना फूलों के धार्मिक कार्य अधूरे रह जाते है, लेकिन इसके बाद भी कुछ लोगो के मन में फूलों को लेकर यह बात जरुर आती होगी कि आखिर भगवान को फूल क्यों चढ़ाए जाते है और धार्मिक कार्यो में फूलों का क्या महत्व है? तो आइये जानते है.
हमारे धर्मग्रंथो के अनुसार फूलों के बारे में बताया गया है कि-
पुण्य संवर्धनाच्चापी पापौघपरिहारत।
पुष्कलार्थप्रदानार्थ पुष्पमित्यभिधीयते।।
इसका अर्थ- पुष्प को देवी देवताओं में अर्पित करने से पुण्य बढ़ता, और पाप घट जाता है अर्थात कम हो जाता है.
दैवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा.
इसका अर्थ- देवताओं के मस्तक में पुष्प हमेशा शुशोभित रहना चाहिए.
पुष्पैर्देवां प्रसीदन्ति पुष्पै देवाश्च संस्थिता
न रत्नैर्न सुवर्णेन न वित्तेन च भूरिणा
व प्रसादमायाति यथा पुष्पैर्जनार्दन.
इसका अर्थ है- देवता लोग रत्न, स्वर्ण, भूरि, द्रव्य, व्रत, तपस्या या और किसी चीज से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना फूल या पुष्प चढ़ाने से होते हैं. इसलिए धार्मिक कार्यो में फूलों को अधिक महत्त्व दिया गया है.
धार्मिक कार्यो में या देवी देवताओं को पुष्प चढ़ाने से हमें आंतरिक अनुभूति कि शांति मिलती है तथा इससे सकारात्मक ऊर्जा आती है, घर के मंदिरों में भी देवी देवताओं को पुष्प अर्पित करना चाहिए इससे घर का वातावरण शुद्ध होता है मन शांत और प्रफुल्लित रहता है.
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