'आप अपराध कर रहे हैं..', कोचिंग संस्थानों पर क्यों भड़के सीएम अशोक गहलोत ?

'आप अपराध कर रहे हैं..', कोचिंग संस्थानों पर क्यों भड़के सीएम अशोक गहलोत ?
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जयपुर: राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कोटा में छात्र आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की और शुक्रवार (18 अगस्त) को अधिकारियों को इन्हें रोकने के लिए सुझाव देने के लिए एक समिति बनाने का आदेश दिया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, "मैंने एक समिति बनाने की घोषणा की है और यह 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।"

कोचिंग हब में ITT और NEET उम्मीदवारों के बीच आत्महत्या के मामलों पर एक समीक्षा बैठक में बोलते हुए, सीएम गहलोत ने कक्षा 9 और 10 में पढ़ने वाले छात्रों पर पड़ने वाले बोझ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि, 'आप (कोचिंग संस्थान) कक्षा 9 और 10 के छात्रों को दाखिला देकर अपराध कर रहे हैं। यह माता-पिता की भी गलती है।  छात्रों पर बोर्ड परीक्षाओं को पास करने और प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने का बोझ है, यह सुधार का समय है, क्योंकि हम युवा छात्रों को आत्महत्या करते हुए नहीं देख सकते। एक भी बच्चे की मौत माता-पिता के लिए बहुत बड़ी क्षति है।'

कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों, अभिभावकों और डॉक्टरों सहित सभी हितधारकों से बनी समिति 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। अधिकारियों ने बताया है कि इस साल अगस्त तक ही कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बाईस छात्रों की आत्महत्या से मौत हो चुकी है। पिछले साल यह आंकड़ा 15 था। शिक्षा राज्य मंत्री जाहिदा खान ने भी कोचिंग संस्थानों से आग्रह किया कि वे "पैसे कमाने वाली मशीन" न बनें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ राजस्थान की नहीं बल्कि पूरे देश की समस्या है।

बैठक में छात्र आत्महत्याओं पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों पर भी चर्चा हुई। NCRB के अनुसार, 2021 में लगभग 13,000 छात्रों की आत्महत्या से मृत्यु हो गई। महाराष्ट्र में 1,834 मौतों के साथ सबसे अधिक आत्महत्याएं दर्ज की गईं, इसके बाद मध्य प्रदेश (1,308), तमिलनाडु (1,246), कर्नाटक (855) और ओडिशा (834) का नाम हैं।

स्प्रिंग फैन से ख़ुदकुशी रोकने की कोशिश:-

बता दें कि, इन खुदकुशियों को रोकने के लिए राज्य सरकार ने एक ऐसा कदम भी उठाया है, जिसकी आलोचना भी हो रही है। दरअसल, कोटा जिला कलेक्टर ओम प्रकाश बुनकर द्वारा जारी आधिकारिक बयान पढ़ते हुए बताया गया था कि, 'कोटा शहर में कोचिंग छात्रों के बीच बढ़ती आत्महत्याओं को रोकने और उनमें पढ़ने/रहने वाले छात्रों को मानसिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए, राज्य के सभी हॉस्टल/पीजी संचालकों को प्रत्येक कमरे में पंखों में एक सुरक्षा स्प्रिंग डिवाइस स्थापित करने का निर्देश दिया गया है।' इन पंखों पर जैसे ही कोई फंदा बनाकर लटकेगा, ये पंखा नीचे आ जाएगा। 

राज्य सरकार के इस आदेश की लोग आलोचना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ख़ुदकुशी करने वाला क्या केवल पंखे पर ही लटकेगा ? उनकी दलील है कि, सरकार आत्महत्याओं के मुख्य कारणों पर बात क्यों नहीं कर रही है ? क्यों ये बोझ बढ़ाने वाली और तनाव देने वाली दंडात्मक शिक्षा प्रणाली को बच्चों पर थोपा जा रहा है ? उनकी कॉउंसलिंग करवाई जा सकती है।  ऐसा लगता है कि नई शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण को पूरी तरह से लागू होने में समय लगेगा, जो छात्रों पर तनाव को कम करने के लिए अधिक शैक्षणिक लचीलापन प्रदान करता है।

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