वाशिंगटन: सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू को न्यूयॉर्क में एक गुरुद्वारे की यात्रा के दौरान खालिस्तानी समर्थकों ने घेर लिया था। भाजपा प्रवक्ता आरपी सिंह द्वारा साझा किए गए वीडियो में, कई लोगों को खालिस्तानी आतंकवादियों हरदीप सिंह निज्जर और गुरपतवंत सिंह पन्नू से संबंधित आरोपों के साथ राजदूत संधू का सामना करते देखा जा सकता है।
खालिस्तान समर्थक भीड़ ने तरनजीत सिंह संधू को घेरकर चिल्लाया कि, 'आप निज्जर की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं। आपने पन्नु को मारने की साजिश रची।'' यह घटना तब हुई जब संधू रविवार (अमेरिकी स्थानीय समय) पर लॉन्ग आइलैंड के हिक्सविले गुरुद्वारे में गुरुपर्व की प्रार्थना में शामिल हुए थे। टकराव के बाद, भारतीय दूत संधू को गुरुद्वारे से बाहर निकलते देखा गया, जबकि एक अकेले प्रदर्शनकारी ने परिसर के बाहर खालिस्तानी झंडा लहराया। वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने उपद्रवियों की हरकतों की निंदा की और उन्हें "गुंडे" करार दिया।
#WATCH | Delhi: On the reports of Khalistan supporters heckling Indian Ambassador to US Taranjit Singh Sandhu while on a visit to Gurudwara, BJP leader Manjinder Singh Sirsa says, "As far as Taranjit Singh Sandhu is concerned, he has got a legacy. His father was Teja Singh… pic.twitter.com/Fh0AyTQ0wp
— ANI (@ANI) November 27, 2023
सिरसा ने कहा कि, "वह [संधू] गुरुपर्व के अवसर पर मत्था टेकने के लिए न्यूयॉर्क के गुरुद्वारे में गए थे। खालिस्तानी ठगों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और धमकी दी। क्या यह सिखी का संदेश है? क्या यह गुरु नानक का संदेश है? ये गुंडे सिख नहीं हैं !" बता दें कि, यह घटना 18 जून को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि के बीच हुई है। इस हत्या के बाद कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत की संलिप्तता का आरोप लगाने के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद पैदा हो गया था। हालाँकि भारत ने इसे "बेतुका" बताते हुए दृढ़ता से इनकार किया है।
सितंबर में इसी तरह की एक घटना में, ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी को स्कॉटलैंड के ग्लासगो में कट्टरपंथी ब्रिटिश सिख कार्यकर्ताओं के एक समूह ने एक गुरुद्वारे में प्रवेश से वंचित कर दिया था और उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। विदेश मंत्रालय (MEA) ने अपने राजनयिकों की सुरक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी और इस मामले को संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ उठाया था और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपाय करने का आह्वान किया था।