'आप संविधान के प्रति प्रेम दिखा रहे..', आपातकाल की बरसी पर पीएम मोदी ने कांग्रेस को दिखाया आइना
'आप संविधान के प्रति प्रेम दिखा रहे..', आपातकाल की बरसी पर पीएम मोदी ने कांग्रेस को दिखाया आइना
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नई दिल्ली: आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को कांग्रेस पर आइना दिखाते हुए कहा कि पार्टी लोकतांत्रिक सिद्धांतों की अवहेलना कर रही है और "देश को जेल में बदल रही है।" उन्होंने पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उसे संविधान के प्रति "अपने प्रेम का दावा" करने का कोई अधिकार नहीं है। दरअसल, 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था, जिसके दौरान नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया था, विपक्षी नेताओं और असंतुष्टों को जेल में डाल दिया गया था और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई थी। यह आपातकाल 1977 तक 21 महीने तक लागू रहा।

एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल के दौरान अत्याचार सहने वालों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि ये काले दिन लोगों को याद दिलाते हैं कि कैसे कांग्रेस ने बुनियादी स्वतंत्रता को नष्ट किया और संविधान को कुचला। उन्होंने कहा कि, "आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था। आपातकाल के काले दिन हमें याद दिलाते हैं कि किस तरह कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के संविधान को रौंद दिया, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है।"

उन्होंने ट्वीट किया कि, "सत्ता पर काबिज रहने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हर लोकतांत्रिक सिद्धांत की अवहेलना की और देश को जेल बना दिया। कांग्रेस से असहमत होने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रताड़ित और परेशान किया गया। सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाने के लिए सामाजिक रूप से प्रतिगामी नीतियां लागू की गईं।" संविधान पर "हमला" किए जाने के आरोपों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आरोप लगाया कि पार्टी ने संघवाद को नष्ट कर दिया है और उसे संविधान के प्रति "अपना प्रेम जताने" का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा कि, "जिन लोगों ने आपातकाल लगाया, उन्हें हमारे संविधान के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने का कोई अधिकार नहीं है। ये वही लोग हैं जिन्होंने असंख्य अवसरों पर अनुच्छेद 356 (राज्य सरकारों को बर्खास्त करना- 90 बार) लगाया, प्रेस की स्वतंत्रता को नष्ट करने के लिए विधेयक पारित किया, संघवाद को नष्ट किया और संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया।"उन्होंने आगे कहा, "जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया, वह उसी पार्टी में जीवित है जिसने इसे लगाया था। वे अपने दिखावे के माध्यम से संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं, लेकिन भारत के लोगों ने उनकी हरकतों को देख लिया है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार खारिज किया है।"

भाजपा नेताओं ने आपातकाल की बरसी पर डाली पोस्ट:-

आपातकाल को आधार बनाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर लोकतंत्र की हत्या करने और उस पर बार-बार हमला करने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट किया, "लोकतंत्र की हत्या और उस पर बार-बार प्रहार करने का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है। 1975 में आज ही के दिन कांग्रेस द्वारा लगाया गया आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अहंकारी और निरंकुश कांग्रेस सरकार ने एक परिवार की सत्ता के लिए 21 महीने तक देश में सभी प्रकार के नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया था।"उन्होंने कहा, "इस दौरान उन्होंने मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी थी, संविधान में बदलाव किए थे और अदालत के हाथ भी बांध दिए थे। मैं उन अनगिनत सत्याग्रहियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, मजदूरों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के संघर्ष को सलाम करता हूं जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ संसद से लेकर सड़क तक विरोध प्रदर्शन किया।"

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक "काला अध्याय" कहा। उन्होंने ट्वीट किया, "आज से ठीक 49 वर्ष पहले भारत में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल हमारे देश के लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय है जिसे चाहकर भी भुलाया नहीं जा सकता। उस दौरान जिस तरह से सत्ता का दुरुपयोग व तानाशाही का खुला खेल खेला गया, वह लोकतंत्र के प्रति कई राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।"उन्होंने कहा, "अगर आज इस देश में लोकतंत्र जीवित है, तो इसका श्रेय उन लोगों को जाता है, जिन्होंने लोकतंत्र को बहाल करने के लिए संघर्ष किया, जेल गए और इतनी शारीरिक और मानसिक यातनाएं झेलीं। भारत की आने वाली पीढ़ियां उनके संघर्ष और लोकतंत्र की रक्षा में उनके योगदान को याद रखेंगी।"

इसी तरह की भावनाएं व्यक्त करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि लोकतंत्र के संरक्षक होने का दावा करने वाली पार्टी ने संविधान की रक्षा करते हुए लोगों की आवाज दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा, "25 जून 1975 - यह वह दिन है जब कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक रूप से प्रेरित होकर आपातकाल लगाने के फैसले ने हमारे लोकतंत्र के स्तंभों को हिला दिया और डॉ. (बाबासाहेब) अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को कुचलने का प्रयास किया।" 

उन्होंने कहा, ‘‘इस दौरान, जो लोग आज भारतीय लोकतंत्र के संरक्षक होने का दावा करते हैं, उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए उठने वाली आवाजों को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।’’ नड्डा ने आगे कहा, "आज हम अपने महान नायकों द्वारा दिए गए बलिदानों को याद करते हैं, जिन्होंने आपातकाल के काले दिनों में बहादुरी से लोकतंत्र की रक्षा की। मुझे गर्व है कि हमारी पार्टी उस परंपरा से जुड़ी है, जिसने आपातकाल का डटकर विरोध किया और लोकतंत्र की रक्षा के लिए काम किया।" 18वीं लोकसभा के पहले दिन सोमवार को आपातकाल लगाए जाने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच वाकयुद्ध देखने को मिला।

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