'आप तो जमानत पाते ही मंत्री बन गए..', किस नेता पर भड़का सुप्रीम कोर्ट ?

'आप तो जमानत पाते ही मंत्री बन गए..', किस नेता पर भड़का सुप्रीम कोर्ट ?
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चेन्नई: तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत मिलने के बाद तुरंत मंत्री पद पर बहाल किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कदम किसी को भी यह सोचने पर मजबूर करेगा कि मंत्री पद के कारण गवाहों पर दबाव डाला जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट डीएमके नेता को मिली जमानत रद्द करने की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में सिर्फ यह जांच करेगा कि गवाहों पर दबाव पड़ा था या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस ओका ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि जमानत मिलने के बाद अगले ही दिन मंत्री बनाए जाने से गवाहों पर प्रभाव डालने की आशंका बढ़ती है। बालाजी के वकील ने कोर्ट से समय मांगा, और अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बालाजी की जमानत रद्द करने का फैसला नहीं लिया जाएगा, क्योंकि इसी कानून के तहत अन्य लोगों को भी राहत मिल चुकी है सेंथिल बालाजी डीएमके के वरिष्ठ नेता हैं और चार बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत डीएमके से की थी, फिर एआईएडीएमके में शामिल हुए और बाद में डीएमके में वापस लौट आए। 2011-2015 के दौरान जयललिता सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इन आरोपों में ईडी ने जून 2023 में उन्हें गिरफ्तार किया। आठ महीने जेल में रहने के बाद सितंबर में उन्हें जमानत मिली, जिसके बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने उन्हें कई विभागों की जिम्मेदारी सौंपकर फिर से मंत्री बना दिया।

बालाजी की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया था कि वह ईडी और अन्य एजेंसियों का इस्तेमाल करके राजनीतिक विरोधियों को निशाना बना रही है। उन्होंने इसे आपातकाल की अवधि से भी ज्यादा गंभीर बताया था और कहा था कि यह उनके हौसले को डिगाने का प्रयास है।

 

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