बैंगलोर: कर्नाटक में पूर्ण बहुमत के साथ जीत दर्ज करने के बावजूद कांग्रेस का डर सही साबित हो रहा है। दरअसल, कांग्रेस के दोनों कद्दावर नेता डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया सीएम पद के लिए अपना-अपना दावा ठोंक रहे हैं। ऐसे में पार्टी के लिए इस मुद्दे पर फैसला करना मुश्किल हो रहा है। इस बात के संकेत पार्टी के दिग्गज नेता और राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले केसी वेणुगोपाल के बयानों से मिल रहे हैं।
कर्नाटक कांग्रेस में CM की कुर्सी को लेकर सियासी तकरार :-
रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक का CM कौन होगा? इस सवाल का जवाब देते हुए वेणुगोपाल ने कहा है कि, 'इसमें कुछ समय लगेगा। हम इस मुद्दे को डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच सुलझा लेंगे। दोनों ही दिल से कांग्रेसी हैं।' दोनों नेताओं के बीच जारी कुर्सी की इस लड़ाई के बीच कांग्रेस सुप्रीमो मल्लिकार्जुन खड़गे के कर्नाटक के CM बनने के कयासों को उन्होंने सिरे से नकार दिया। एक चैनल को दिए गए इटंरव्यू में वेणुगोपाल ने कहा कि, 'खड़गे का कोई प्रश्न ही नहीं है। अफवाहों पर ध्यान न दें। वहीं, कर्नाटक कांग्रेस सूत्रों से खबर मिल रही है कि आज शाम को होने वाली विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद के नाम पर फैसला नहीं होगा। बल्कि, इस बैठक में सिर्फ एक ही प्रस्ताव पारित किया जाएगा, जिसमें यह कहा जाएगा कि कांग्रेस हाईकमान ही मुख्यमंत्री का फैसला करे।
खड़गे से मिलने पहुंचे सिद्धारमैया, शुरू हुई नई अटकलें:-
दरअसल, कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कांग्रेस में रार खत्म थमने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच खबर सामने आई कि सिद्धारमैया ने मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर पहुंचकर उनके साथ मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद पार्टी में अटकलें तेज हो गए हैं। हालांकि, इन अटकलों पर विराम लगाते हुए खड़गे के बेटे और कांग्रेस MLA प्रियांक खड़गे ने कहा कि यह पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और सिद्धारमैया के बीच एक शिष्टाचार भेंट थी, यह कोई सियासी बैठक नहीं थी। CLP की मीटिंग होगी, जहां मुख्यमंत्री पद के लिए अंतिम फैसला लिया जाएगा।
ढाई-ढाई साल CM पद बाँट सकती है कांग्रेस:-
बता दें कि, कांग्रेस सूत्रों के हवाले से यह जानकारी भी मिल रही है कि, मध्य प्रदेश, पंजाब और अब राजस्थान में दो कद्दावर नेताओं की जंग से सीख लेते हुए पार्टी दोनों नेताओं के बीच पांच वर्षों के साझा कार्यकाल के लिए समझौता कराने का प्रयास कर रही है। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि दोनों को ढाई-ढाई साल सीएम की कुर्सी सौंपी जा सकती है। ताकि, गहलोत- पायलट, सिद्धू-अमरिंदर-चन्नी जैसे सियासी टकराव के हालात न बनें।
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