कोलकाता: गुरुवार (6 जून) को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार को जमकर फटकार लगाई। इस मामले में एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कौशिक चंदा और न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे की दो न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि यदि सरकार हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहती है, तो केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) को अगले पांच वर्षों तक राज्य में बनाए रखा जा सकता है।
हाई कोर्ट ने कहा, "हम किसी भी कीमत पर राज्य के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं।" न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने कहा कि, "हम हर दिन मीडिया में चुनाव के बाद की हिंसा के बारे में देख रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद जो (हिंसा) हुआ, वही इस बार भी हो रहा है।" उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि, "आपको (सरकार को) शर्म आनी चाहिए। अगर राज्य इस हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहता है, तो हमें यह निर्णय लेना होगा कि अगले पांच वर्षों तक केंद्रीय बल इस राज्य में रहेंगे।"
अपने 5 पेज के फैसले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि, " इस राज्य में चुनाव के बाद हिंसा की घटनाएं अभूतपूर्व नहीं हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद, पूरे देश ने राज्य के भीतर चुनाव के बाद अभूतपूर्व हिंसा देखी।" अदालत ने फैसला सुनाया कि चुनाव के बाद हुई हिंसा से पीड़ित लोग न केवल नजदीकी पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं, बल्कि उन्हें पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक को ईमेल – dgpwestbengal@gmail.com और dgpofficewbconfidential@gmail.com के जरिए भी भेज सकते हैं।
इसके बाद शिकायतों को तुरंत पश्चिम बंगाल पुलिस की संबंधित वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाना चाहिए तथा सार्वजनिक डोमेन में लाया जाना चाहिए। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि, "यदि शिकायतों में किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक तुरंत संबंधित पुलिस स्टेशन को कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देंगे। ऐसी प्राथमिकी दर्ज होने के तुरंत बाद, स्थानीय पुलिस स्टेशन कानून के अनुसार उपद्रवियों के खिलाफ तत्काल कदम उठाएगा। "
न्यायमूर्ति कौशिक चंदा और न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे ने यह भी कहा कि पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक इस प्रक्रिया की निगरानी करेंगे तथा पुलिस को प्राप्त शिकायतों की संख्या, FIR का पंजीकरण और उसके बाद की कार्रवाई पर 10 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने CAPF और पश्चिम बंगाल पुलिस को सहयोग करने और प्राप्त शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया ताकि जान-माल की हानि को रोका जा सके। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आगे निर्देश दिया, "हम यह भी चेतावनी देते हैं कि यदि राज्य मशीनरी नागरिकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करने में विफल रहती है, तो सुनवाई की अगली तारीख पर उचित आदेश पारित किए जाएंगे।"
चुनावी हार के 2 दिन बाद निरहुआ ने शेयर किया ये खास पोस्ट
'कमलनाथ और दिग्विजय सिंह अपने गृह क्षेत्र से बाहर क्यों नहीं निकले?', MP में 0 सीट पर भड़की कांग्रेस