'आप चाहते हैं कि मजदूर भूखे मरें?', SC ने लगाई दिल्ली सरकार को फटकार

'आप चाहते हैं कि मजदूर भूखे मरें?', SC ने लगाई दिल्ली सरकार को फटकार
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नई दिल्ली: राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय में आज सुनवाई हुई। इस के चलते सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव से पूछा, "क्या हमारे आदेश के पश्चात् आपने निर्माण श्रमिकों को पंजीकरण के लिए एक भी नोटिस जारी किया?" मुख्य सचिव ने जवाब दिया कि वे संबंधित विभाग के सचिव से इस बारे में जानकारी लेंगे। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि आदेश के पश्चात् अब तक कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा, "अगर आपने कोई नोटिस जारी नहीं किया, तो आगे का रास्ता क्या है?" मुख्य सचिव ने जवाब दिया कि नोटिस जल्द जारी किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण श्रमिकों को रोजगार देने वाली एजेंसियों और यूनियनों को सूचित किया गया है। न्यायालय ने सवाल किया, "कितनी यूनियनों को और कब सूचित किया गया?" मुख्य सचिव ने बताया कि 35 यूनियनों को सूचित किया गया है, और यह जानकारी कल दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि 2 दिसंबर को बोर्ड की बैठक के चलते यूनियनों को सूचित किया गया था। मुख्य सचिव ने आगे कहा कि श्रमिकों का सत्यापन किया जा रहा है तथा पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी से मिलान किया जा रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव से पूछा, "क्या हमें यह बयान रिकॉर्ड पर लेना चाहिए कि दिल्ली में केवल 90,000 निर्माण श्रमिक हैं? अगर यह बयान झूठा साबित हुआ, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।" इस पर मुख्य सचिव ने कहा कि वे आंकड़ों को दोबारा सत्यापित करेंगे। न्यायालय ने कहा, "आपको यह भी नहीं पता कि 90,000 से अधिक श्रमिक हैं। दिल्ली सरकार ने इनका सही आंकड़ा पता लगाने का कोई प्रयास नहीं किया।"

"क्या आप चाहते हैं कि मजदूर भूखे मरें?"
मुख्य सचिव ने कोर्ट को बताया कि पोर्टल पर पंजीकृत 90,693 श्रमिकों को प्रति मजदूर 2,000 रुपये की सहायता राशि दी गई है। बाकी 6,000 रुपये की राशि का भुगतान जल्द किया जाएगा। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए पूछा, "सिर्फ 2,000 रुपये? बाकी पैसे क्यों नहीं दिए गए? क्या आप चाहते हैं कि मजदूर भूखे मरें? यह अदालत की अवमानना है। यदि आपका बयान झूठा साबित हुआ, तो परिणाम गंभीर होंगे।"

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अन्य निर्माण श्रमिकों को यह बताने की कोशिश ही नहीं की कि यदि वे पोर्टल पर पंजीकृत हैं, तो वे निर्वाह सहायता पाने के हकदार हैं। अदालत ने टिप्पणी की, "ऐसा लगता है कि दिल्ली सरकार ने यह भी नहीं सोचा कि 90,000 से अधिक श्रमिक हो सकते हैं।" सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि निर्माण मजदूरों की यूनियनों की तत्काल बैठक बुलाई जाए तथा उन्हें सूचित किया जाए। इस मामले में अगली सुनवाई अगले बृहस्पतिवार को होगी।

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