दक्षिण भारत के सबसे खुबसूरत अभयारण्य में शुमार पेरियार नेशनल पार्क विश्व के उन गिने-चुने अभयारण्यों में से है, जो जैव-वैविधता से भरपूर है। अपनी हरियाली और मनोरम दृश्यों के अतिरिक्त इस अभयारण्य की प्रसिद्धि यहां बसे जीव-जंतुओं से भी है। यह राष्ट्रीय उद्यान 305 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसके भीतर से पेरियार और पंबा नदियां बहती हैं। यहां हाथी, बाघ, तरह-तरह के सरीसृप हिरण आदि के साथ-साथ जंगलों में सदा चहकते रहने वाले पक्षियों का भी बसेरा है।
यह ऐसा स्थल है, जो एक ओर तो मन को शांति प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर प्रकृति के साथ एकाकार होने का अवसर भी देता है। अतीत में त्रावणकोर के राजाओं की शिकारगाह रहा यह घना जंगल अब भारत सरकार के अधीन है। 1978 में जब इसे भारत सरकार के प्रोजेक्ट टाइगर के अधीन लिया गया, तब इसका नाम बदलकर 'पेरियार टाइगर रिजर्व' रखा गया। पेरियार केरल की जीवनदायिनी कहलाती है और पंबा नदी शबरीमला मंदिर के कारण काफी पवित्र मानी जाती है। इन नदियों का पानी इस राष्ट्रीय उद्यान के जीवों से लेकर छोटे-छोटे पौधे तक में जीवन भरता है।
इस उद्यान में 35 प्रमुख स्तनपायी जीव पाए जाते हैं, जिनमें से कई वे जीव हैं, जिनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। यहां हाल में 40 बंगाल टाइगर देखे गए हैं, जो किसी भी अभयारण्य के लिए गर्व की बात है। प्रमुख जीवों में यहां हाथी, सफेद बाघ, उडऩे वाली गिलहरियां, सांभर हिरण, गौड़, नीलगिरि लंगूर, भालू और जंगली बिल्लियां हैं। इस उद्यान में पक्षियों की 266 प्रजातियां देखी जा सकती हैं। पेरियार नेशनल पार्क सरीसृपों की विविधता के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां 45 प्रकार के सरीसृप देखे जा सकते हैं, जिनमें कोरल स्नेक, मलाबार पिट वाइपर व कोबरा प्रमुख हैं।
जीव-जंतुओं में रुचि रखने वाले लोग यहां महीनों रहकर घूम-घूमकर उनके व्यवहारों का अध्ययन करते रहते हैं। केरल सरकार के पर्यटन विभाग के गेस्ट हाउस के कमरों से इन जीवों के कार्यकलापों को निहारना अपने आप में विशिष्ट अनुभव है, जो अन्यत्र मिलना असंभव है। पेरियार टाइगर रिजर्व में रहने के लिए केटीडीसी की वेबसाइट पर जाकर बुकिंग कराई जा सकती है। शांत झील में पानी की सतह पर नावों की सवारी का आनंद कौन नहीं उठाना चाहता है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटक पेरियार झील में बोटिंग अवश्य करते हैं।
इसके पीछे मुख्य कारण है इस झील का पेरियार वन्यजीव अभयारण्य के बीचोबीच स्थित होना। अभयारण्य के जीव-जंतु भी इस झील का भरपूर उपयोग करते देखे जा सकते हैं। झील के आसपास जंगली जानवर पानी पीते, अठखेलियां करते और आराम फरमाते नजर आ जाएंगे। हाथी के झुंडों को अक्सर इस झील के किनारे देखा जाता है। केरल पर्यटन विकास निगम दिन में पांच बार इस झील की सैर के लिए नाव चलाता है।
दो घंटे की इस यात्रा में वन्य जीवन का अद्भुत सौंदर्य देखने को मिल जाता है। पर्यटन विभाग इस यात्रा में पर्यावरण और यात्रियों की सुरक्षा को लेकर काफी संवेदनशील रहता है। इस कारण झील, जंगल आदि प्लास्टिक मुक्त रह पाते हैं। यहां बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं, इसलिए बोटिंग के टिकट की मारामारी रहती है। थोड़े ज्यादा पैसे देकर ऑनलाइन टिकट पहले से बुक कराया जा सकता है, अन्यथा काउंटर पर लंबी लाइन का सामना करना पड़ सकता है।
यह अभ्यारण तेकड़ी में स्थित है जहां वर्ष भर जाया जा सकता है। पर मानसून और इसके तुरंत बाद इस स्थान की खूबसूरती कमाल की होती है। जब उत्तर भारत ठंड से सिकुड़ रहा होता है, उन दिनों इधर हल्की गर्मी शुरू हो चुकी होती है। तेकड़ी तक जाने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट है और रेलवे स्टेशन है आलुवा। यहां से बस या टैक्सी से तेकड़ी तक जाया जाता है। सरकारी और निजी दोनों ही प्रकार की बसें यहां चलती हैं। यहां ठहरने के लिए सभी तरह के होटल और लॉज उपलब्ध हैं।
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