प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ के गंगा स्नान का आज दूसरा दिन है. इस समय प्रातःकाल से ही श्रद्धालु स्नान के लिए घाट के किनार पहुंच गए. महाकुंभ में सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बन चुके है अघोरी बाबा और नागा साधु. अघोरियों को लेकर अब भी हर किसी के मन में कई तरह के प्रश्न भी उठ रहे है, जैसे कि ये लोग क्या सच में ही इंसानी मांस का सेवन भी करते है. आखिर किस वजह से अघोरी नर मुंड हमेशा अपने साथ रखते हैं और अघोरियों का अंतिम संस्कार किस तरह से किया जाता है और आखिर करता कौन है. आज हम आपको बताएंगे अघोरियों के बारें में कुछ खास बातें तो चलिए जानते है....
अघोरी के बारे में ऐसा बोला जाता है कि वो धर्म की रक्षा के लिए सबसे आगे खड़ा दिखाई देगा. ऐसा भी कहा जाता है कि अघोरी साधु की मौत होती है तो उसके शव को मुखाग्नि नहीं दी जाती. अघोरी साधु की मौत होने पर चौकड़ी लगाकर शव को उलटा रख दिया जाता है. मतलब सिर नीचे और टांगे ऊपर. फिर सवा माह तक इंतजार किया जाता है कि उसके शव में कीड़े पड़ने लग जाएं.
जिसके पश्चात शरीर को वहां से हटाकर सर को छोड़कर शेष शरीर को गंगा में ठंडा कर दिया जाता है. ऐसे करने के पीछे मान्यता यह है कि गंगा में उसके सारे पाप धुल जाएंगे. यही नहीं, गंगा में बहाने से पहले सवा माह से दफन अघोरी के शरीर को वापस निकाल लिया जाता है उसके सर पर 40 दिनों तक क्रियाएं की जाती है. 40 दिन की क्रिया के पश्चात जब खोपड़ी पर शराब डाली जाती है तो मुंडी उछलने लग जाती है, उसे जंजीरों से बांधकर रख दिया जाता है. जितनी उस अघोरी ने साधना की हुई है, जितनी भी तंत्र सीखें है. वो मुंडी बात करेगी. आवाज देगी. शराब मांगेगी. नाचेगी और कुदेगी.
गाय मांस का सेवन नहीं करते अघोरी: रिसर्च में बताया गया है कि यूं तो अघोरी साधु इंसान के मांस तक को बिलकुल भी नहीं छोड़ना चाहते, लेकिन वह गाय का मांस का सेवन नहीं करते. इसके साथ साथ बाकी सभी चीजों का सेवन भी करते है. मानव मल से लेकर मुर्दे का मांस तक. इतना ही नहीं अघोरपंथ में श्मशान साधना का विशेष महत्व है इसलिए वे श्मशान में रहना ही बहुत ही पसंद है. श्मशान में साधना करना शीघ्र ही लाभदायक बन जाता है.
लाल होती है अघोरियों आंखें: खबरों की माने तो अघोरी हठ के पक्के होते हैं वह बोलते है कि अघोरी हठधर्मी भी होते है. ये यदि किसी बात पर अड़ जाएं तो उसे पूरा किए करके ही दम लेते है. अघोरी साधु अपने गुस्सा को शांत करने के लिए किसी भी हद तक चले जाते है. ज्यादातर अघोरियों की आंखें लाल भी होने लग जाती है. हालांकि आंखों के कारण लगता है कि अघोरी हमेशा गुस्से में रहते हैं, मगर ये मन से बहुत ही ज्यादा शांत होते हैं. आम लोगों से अघोरी सम्पर्क बिलकुल भी नहीं करते. उनके साथ उनके शिष्य रहते हैं जो उनकी सेवा करते हुए दिखाई देते है. अघोरी भगवान शिव की पूजा अर्चना करते है और अपना जीवन उन्हीं के नाम समर्पित कर देते है.