इंसान की सोच उनके दिमाग की खास बनावट पर निर्भर करती है. यह बात हाल ही में हुए एक शोध से पता चली है जिसमें वैज्ञानिकों ने पाया कि सकारात्मक और नकारात्मक सोच लोगों के दिमाग की खास बनावट के कारण होती है. मनोविज्ञान के सहायक प्रोफेसर और शोधर्कता जैसन मोसेर ने अपने शोध से प्रमाणित कर दिया है कि आपकी सोच दिमागी बनावट पर निर्भर करती है.
इस अध्ययन में 71महिलाओं को शामिल किया गया और उन्हें एक चित्र दिखाया गया जिसमें एक नकाबपोश व्यक्ति एक महिला के गले पर चाकू रखे हुए था. चित्र दिखाने से पहले ही उनके मस्तिष्क की हलचल पर नजर रख कर यह पता लगा लिया गया कि उनमे से नकारात्मक और सकारात्मक सोच वाली महिलाएं कौन कौन सी हैं. इस बात का पता उनकी दिमागी बनावट से लगाया गाया. इसके बाद इन सभी प्रतिभागियों से कहा गया कि वे इस चित्र को देखकर सकारात्मक तरीके से सोचें. उनसे यह भी कहा गया कि एक संभावना यह भी हो सकती है कि महिला नकाबपोश व्यक्ति के चंगुल से निकल जाय.
वैज्ञानिकों ने इन महिलाओं के दिमाग की हलचल का विश्लेषण करने के बाद पाया कि सकारात्मक सोच महिलाओं की अपेक्षा नकारात्मक विचार वाली प्रतिभागियों का दिमाग जरूरत से ज्यादा सक्रिय था और उनकी चिंता बढ़ गई थी. दरअसल नकारात्मक सोच वाली महिलाओं को सकारात्मक सोच विकसित करने में दिमागी तौर पर ज्यादा मेहनत करनी पड़ी. प्रोफेसर मोसेर ने कहा कि नकारात्मक सोच वाली प्रतिभागियों की बढ़ी चिंता से संकेत मिला कि जब उनसे नकारात्मक भावनाओं को कम करने को कहा गया तो ऐसा करने में उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ा और नकारात्मक सोच के कारण उनकी चिंता पहले से ज्यादा बढ़ गई.
प्रोफेसर मोसेर ने कहा कि इस शोध से पता लगता है कि अगर आपका दोस्त नकारात्मक सोच वाला है तो आपकी सिर्फ इस सलाह से कि वह अच्छा सोचे और परेशान न हो, उसकी मदद नहीं हो सकती. इसके लिए समस्या से निपटने के लिए दूसरे रास्ते निकालने होंगे. हालांकि उन्होने विश्वास व्यक्त किया कि नकारात्मक विचार वाले व्यक्ति की भी सोच बदली जा सकती है .इसमें बेशक बहुत समय लग सकता है लेकिन कोशिश से चीजें काफी बदल सकती हैं.
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