लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया और पार्टी सांसद अखिलेश यादव ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का कड़ा विरोध किया और यहां तक आरोप लगाया कि उन्होंने सुना है कि इस प्रक्रिया में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के अधिकारों में कटौती की जा रही है। अखिलेश यादव ने कहा कि, "यह बिल जो पेश हो रहा है वो बहुत सोची समझी राजनीति के लिए तैयार हो रहा है। अध्यक्ष महोदय, मैंने लॉबी में सुना कि आपके कुछ अधिकार भी छीने जा रहे हैं और हमें आपके लिए लड़ना होगा...मैं इस बिल का विरोध करता हूं।"
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यादव के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि, "अखिलेश जी, क्या इस तरह की गोलमोल बात आप नहीं कर सकते। आप स्पीकर के अधिकारों के संरक्षक नहीं हैं।" बाद में स्पीकर ओम बिरला ने सदस्यों को याद दिलाया कि चेयर के बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी करना अनुचित है। उन्होंने कहा कि, "यह मेरी सभी माननीय सांसदों से अपेक्षा है, चेयर पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए।" अखिलेश यादव ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
उन्होंने केंद्र कि आलोचना करए हुए कहा कि, "जब चुनाव के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, तो लोगों को क्यों मनोनीत किया जाए? समुदाय से बाहर का कोई भी व्यक्ति अन्य धार्मिक निकायों का हिस्सा नहीं है। वक्फ निकायों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का क्या मतलब है?" अखिलेश ने वक्फ की असीमित शक्तियों का बचाव करते हुए दावा किया कि भाजपा ने हाल ही में चुनावी झटकों के बाद कट्टरपंथी समर्थकों को खुश करने के लिए यह विधेयक पेश किया है। विपक्षी दल इस विधेयक को चुनौती देने के लिए एकजुट हुए हैं, जिसका उद्देश्य 1995 के वक्फ अधिनियम की 44 धाराओं में संशोधन करना है, जिसमें राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण और अतिक्रमणों को हटाने से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। साथ ही वक्फ की उस शक्ति पर अंकुश लगाना है, जो उसे सरकार और न्यायालय से भी बड़ा बना देती है। दरअसल, 2013 में कांग्रेस सरकार ने वक्फ को ये ताकत दे दी थी कि वो किसी भी जमीन पर दावा ठोंक सकता है और इसमें सरकार तथा कोर्ट भी दखल नहीं देगी। जिसके बाद वक्फ की संपत्ति बेतहाशा बढ़ती गई और पीड़ितों से कोर्ट जाने तक का रास्ता छीन गया, मौजूदा केंद्र सरकार इस प्रावधान को हटाने की तैयारी में है, जिसका पूरा विपक्ष विरोध कर रहा है।
विधेयक में यह भी प्रस्ताव है कि केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में दो महिलाएं शामिल की जाएं और वक्फ बोर्ड को मिलने वाले धन का इस्तेमाल सरकार के सुझावों के अनुसार विधवाओं, तलाकशुदा और अनाथों के कल्याण के लिए किया जाए। महिलाओं की विरासत की सुरक्षा और वक्फ निकायों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना भी प्रस्तावित कानून के प्रमुख, फिर भी विवादास्पद पहलू हैं।
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