पुरानी कहावत है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. ऐसे ही राजस्थान में दो साल पहले बारिश ना होने के कारण फसलें सूख जाने पर हुए नुकसान के कारण, युवा नारायण लाल को खेतों में पानी की नमी बनाए रखने के लिए, कोई चीज विकसित करने का ख्याल आया. इसके बाद उन्होंने अनोखी तकनीक खोज ली.
बता दें कि जिले के केरड़ी बेरज के निवासी महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष के छात्र नारायण लाल ने ईको फ्रेंडली वाटर रेटेंशन पॉलिमार बनाया है. यह पॉलिमार खेतों में औसत से ज्यादा दिन तक नमी बनाए रखेगा. इससे दो फायदे होंगे, एक तो खेत में पानी कम लगेगा, और दूसरा पानी की बर्बादी भी रुकेगी.
उल्लेखनीय है कि नारायण ने प्राकृतिक अपशिष्ट पदार्थों को रासायनिक अभिक्रिया करवाकर ईको फ्रेंडली पॉलिमार बनाया है, जो एक तरह की खाद है, जिसे मिट्टी में डालकर उसकी नमी को पांच गुना बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए उन्होंने एक टीम बनाई है जो इसको बड़े स्तर पर करने का कार्य कर रही है. बड़े स्तर पर बाजार में उतारने के लिए सरकार की ओर से ढाई लाख रुपए दिए जाएंगे.
ख़ास बात यह है कि इस नई तकनीक को दो बार राष्ट्रीय विज्ञान मेला, पिच टू विन में चुना जा चुका है. इसके अलावा इस नूतन प्रयोग को यंग इनोवेशन अवार्ड, एजुकेशन फेस्टिवल में मानव संसाधन विकास मंत्री, उच्च शिक्षामंत्री सहित प्रदेश सरकार द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है.
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