तो यह है संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य

तो यह है संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य
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दुनिया के बहुत कम लोग महाभारत की सभी कथाओं के बारे में जानते हैं. ऐसे में महाभारत में हमारे सभी प्रश्नों का जवाब है. जी हाँ, तो आइए जानते हैं आज उस सवाल का जवाब जो बहुत कम लोग जानते हैं. जी हाँ, दरअसल महाभारत में युधिष्ठिर ने बताया था कि क्या है संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य. आइए जानते हैं.

महाभारत की कथा का एक महत्वपूर्ण प्रसंग है - यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा कि संसार में सबसे बड़े आश्चर्य की बात क्या है? युधिष्ठिर ने उत्तर दिया कि हर रोज हमारी आंखों के सामने न जाने कितने लोग मृत्यु के मुख में समा जाते हैं, फिर भी हममें से बचे हुए लोग यही कामना करते हैं कि हम अमर रहें। यही संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य है। इस संसार में जो आया है उसे एक न एक दिन यहां से जाना ही होगा। फिर भी वे इस प्रकार आचरण करते हैं जैसे उन्हें सदा ही यहां रहना है और मृत्यु उनके लिए नहीं है।

यदि आज के संदर्भ में यही सवाल पूछा जाए कि संसार में सबसे बड़े आश्चर्य की बात क्या है तो एक उत्तर तो यही मिलेगा कि जो लोग अपराधों में लिप्त होते हैं वे अवश्य पकड़े जाते हैं, फिर भी अपराध करने वाले बड़ी चालाकी से अपराध करते हैं और सोचते हैं कि वे नहीं पकड़े जाएंगे। आज समाज में भांति-भांति के अपराधों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। बलात्कार, चोरी, डकैती, अपहरण और हत्या जैसे संगीन अपराधों को भी लोग बेखौफ होकर अंजाम दे रहे हैं। बात कहकर पलट जाना, वादा करके मुकर जाना, अमानत में खयानत, कमजोर का आर्थिक शोषण, सामाजिक-आर्थिक नियमों की अनदेखी, सरकारी संपत्ति का गबन, पद व स्थिति का दुरुपयोग, टैक्स चोरी, रिश्वत का लेन-देन आदि सामान्य हो गया है। लेन-देन में विवाद होने पर मात्र कुछ रुपयों के लिए किसी की हत्या कर देना, अवैध प्रेम-प्रसंगों के चलते पत्नी या पति की हत्या कर देना या करवा देना, अपने प्रतिद्वंद्वियों अथवा विरोधियों को मरवा डालना आम बात हो गई है।

दहेज कानून अत्यंत सख्त होने के बावजूद दहेज के लिए हर साल न जाने कितनी ही युवतियों को जलाकर अथवा गला घोंटकर मार डालने की घटनाएं होती हैं। पिछले दिनों देश की राजधानी अथवा अन्य बड़े शहरों में हुई चर्चित डकैतियों, अपहरण और हत्याओं पर नजर डालिए। इन सभी मामलों में ज्यादातर अपराधी बड़े शातिर होते हैं। वे चतुराई से इन घटनाओं का ताना-बाना बुनते हैं। लेकिन शायद ही कोई केस हो जिसमें अपराधी पकड़े न गए हों। कुछ वक्त भले लगा हो, मगर प्राय: सभी मामलों में अपराधी देर-सबेर धरे गए। इसके बावजूद अपराधियों की संख्या कम नहीं हो रही। रोज नए-नए अपराधी पैदा हो रहे हैं और अपने कुकृत्यों से अपना ही नहीं, कई अन्य लोगों का भी जीवन नरक बना रहे हैं। दिलचस्प बात है कि इनमें से ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि हमारी बात और है। कोई पकड़ा गया तो अपनी लापरवाही की वजह से। हम ज्यादा चालाक हैं।

हम कोई निशान नहीं छोड़ेंगे और पकड़े भी नहीं जाएंगे। बात सिर्फ बड़े-बड़े अपराधों की नहीं है। जिन्हें छोटा-मोटा अपराध कहते हैं और जो आम तौर पर कानून के दायरे से बाहर रहते हैं, उनकी भी बात हो रही है। किसी दोस्त को धोखा दे देना, किसी पर झूठा इल्जाम लगा देना, किसी के हिस्से का श्रेय खुद ले लेना…। ऐसे लोग भी देर-सबेर पकड़े जाते हैं, बदनामी और अन्य रूपों में अपने किए की सजा भी पाते हैं, फिर भी दूसरे तमाम लोग ऐसी हरकतों को अंजाम देते रहते हैं। यह आश्चर्य नहीं तो और क्या है!

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