मध्यप्रदेश में युवाओं की बेरोजगारी का आलम इस कदर है की ग्वालियर जिला कोर्ट में चपरासी के 57 पद के लिए करीब 60 हजार आवेदन आये है. चौंकाने वाली बात तो ये है कि इन पदों के लिए शैक्षणिक योग्यता 8वी पास रखने के बावजूद इंजीनियर, एमबीए, और यहां तक की पीएचडी पास उम्मीदवारों ने भी आवेदन किये है. हालाँकि मध्यप्रदेश के लिए बेरोजगारी का ऐसा उदाहरण कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी बड़वानी जिले में ऐसा देखा गया है. 57 पदों के लिए कई राज्यों के आवेदक, आवेदन कर चुके है. आकड़ो के अनुसार 60 हजार आवेदन से जमा की गई कुल राशि 1 करोड़ 20 लाख रूपये, जिसमें 80 फीसद उम्मीदवार 12 वीं, स्नातक और स्नातकोत्तर पास है. इतनी बड़ी चयन प्रक्रिया के लिए 14 जजों की कमेटी गठित की गई है जो 16 दिनों तक लगातार बिना छुट्टी लिए उम्मीदवारों के स्क्रीन टेस्ट तथा इंटरव्यू लेंगे. औसतन 2857 आवेदको की स्क्रीनिंग प्रत्येक जज को करनी होगी और एक दिन में एक जज के पास औसत 204 आवेदक रहेंगे. सरकार की युवाओं को लेकर जिम्मेदारी से मध्यप्रदेश के युवाओं में एक नाराज़गी है, फिर चाहे बात व्यापम घोटाले की ही क्यों न हो. सरकार के साथ-साथ बड़ी खामी हमारी शिक्षा व्यवस्था पर भी है, जो जैसी की तैसी बनी हुई है, लेकिन सरकार उस पर कोई सुध नहीं लेती. चार अस्थाई महिला टीचर्स ने मुंडवाया अपना सिर हिमाचल प्रदेश में पद्मावत को हरी झंडी वसुंधरा राजे के बाद शिवराज ने बैन की मध्य प्रदेश में 'पद्मावत'