आखिर क्यों इस बार गणेश जी 11 दिनों तक विराजमान रहेंगे, जानें क्या है कारण

हिन्दू धर्म में गणेश चतुर्थी की बहुत मान्यता है इस दिन को भगवान गणेश के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है. शिवपुराण के अनुसार माता पार्वती जब तपस्या कर रही थी, तब उनके शरीर में मेल की परत जम गई थी इसके बाद माता पार्वती ने अपने शरीर की मेल को निकालते हुए एक पुतला बनाया और उस पुतले में प्राण डाल दिए. और उस प्राणी का नाम गणेश रख दिया. इसके बाद माता पार्वती ने गणेश को द्वारपाल बनाकर बैठा दिया और किसी को अन्दर आने से मना कर देने का आदेश दे दिया और वो स्वयं स्नान करने चली गई.

संजोग की बात तब हुई जब उसी समय भगवान शिव का वहां आना हुआ और उनका अन्दर जाना हुआ ही था की बालक गणेश ने रोक दिया. नाराज़ शिव जी ने बालक गणेश को समझाया, लेकिन बालक गणेश ने किसी की भी नहीं सुनी. तब भगवान शिव को गुस्सा आया और उन्होंने त्रिशूल से बालक गणेश का सिर काट दिए. माता पार्वती को जब इस बात का पता चला तो वो दोड़ते हुए आई गणेश को देखकर कुपित हो गई, माता पार्वती की नाराज़गी दूर करने के लिए शिव जी ने गणेश के धड पर हाथी का मस्तक लगा कर उनमे प्राण डाल दिए. तभी भगवान शिव जी ने गणेश को तमाम सामर्थ्य और शक्तिया प्रदान करते हुए प्रथम पूज्य और गणों का देव बनाया.

गणेश चतुर्थी महोत्सव इस महीने में 25 अगस्त को मनाया जाएगा इस दिन भगवान गणेश को बड़ी धूम धाम और गाजे बाजे के साथ इनकी स्थापना की जाती है. इस बार गणेशोत्सव 10 दिन का ना होकर, 11 दिनों का होगा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस अवधि में दो दशमी तिथि पड़ रही हैं। इस बार 31 अगस्त और एक सितंबर दोनों ही दिन दशमी तिथि रहेगी. गणेश चतुर्थी का साल भर में पड़ने वाली सभी चतुर्थियों में सबसे अहम महत्व है। अगर ये 11 दिन जिसने भगवान गणेश की पूजा करके उन्हें प्रसन्न कर लिया उनके भाग्य खुल जाएगे उनके रुके हुए कार्य आसान हो जायेंगे व सफलता कदम चूमेगी.

 

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