अपनी फिल्मों के जरिये आज भी सबके दिल में बसे दादा मुनि

हिंदी सिनेमा के जाने- माने अभिनेता अशोक कुमार का जन्म एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था. बता दे कि, अशोक कुमार सभी भाई-बहनों में बड़े थे. उनके पिता कुंजलाल गांगुली मध्य प्रदेश के खंडवा में वकील थे.

बात करे अशोक कुमार की शिक्षा के बारे में तो उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश के खंडवा शहर में प्राप्त की थी और बाद में अपनी स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की थी. खास बात यह है कि, वह कभी भी जोखिम लेने में नहीं घबराए और पहली बार हिन्दी सिनेमा में एंटी हीरो की भूमिका की थी.

अशोक कुमार ने अपने करियर की शुरुआत सन् 1934 में न्यू थिएटर में बतौर लेबोरेट्री असिस्टेंट के रूप में काम किया था. बता दे कि, फ़िल्म जगत् में अशोक कुमार को दादा मुनि के नाम से जानते है. एक स्टार के रूप में अशोक कुमार की छवि 1943 में आई 'क़िस्मत' फ़िल्म से बनी. उसी दशक में उनकी एक और फ़िल्म 'महल' आई, जिसमें मधुबाला थीं.

दिलचस्प बात यह है कि, रोमांचक फ़िल्म 'महल' को भी बेहद कामयाबी मिली. बता दे कि, क़रीब छह दशक तक बेमिसाल अभिनय से दर्शकों को रोमांचित करने वाले दादामुनी अशोक कुमार 10 दिसंबर 2001 को इस दुनिया को अलविदा कह गए.

वह आज भले ही हमारे बीच नहीं हो लेकिन वह क़रीब 275 फ़िल्मों की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो हमेशा-हमेशा के लिए दर्शकों को सोचने, गुदगुदाने और रोमांचित करने के लिए पर्याप्त हैं.

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