नईदिल्ली। रेमंड औद्योगिक घराने में पारिवारिक विवाद गहरा गया है। हालात ये हैं कि समूह के प्रमुख रहे विजयपत सिंघानिया अपनी संपत्ती के उपयोग के लिए न्यायालय की शरण में हैं। उन्होंने याचिका के माध्यम से आरोप लगाया है कि उनके बेटे ने उन्हें पाई पाई का मोहताज कर दिया है। विजयपत सिंघानिया ने इस परेशानी से निजात पाने के लिए मुंबई उच्च न्यायालय में वाद दायर कर दिया है। उन्हें जेके हाउस में अपना भाग तक नहीं मिला है। मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने जेके हाउस में अपना भाग मांगा था। दरअसल उनका आरोप था कि उनके बेटे ने वर्ष 1960 में बने भवन पर कब्जा जमा लिया है। हालांकि यह भव्य इमारत 14 ईमारत वाली थी। जिसमें 4 ड्यूप्लेक्स रेमंड की सब्सिडायरी पश्मीना होल्डिंग्स को दे दिए। सिंघानिया ने कंपनी में समस्त शेयर्स फरवरी वर्ष 2015 में पुत्र के भाग में दे दिए थे। गौरतलब है कि विश्व में सूटिंग और शर्टिंग के लिए लोकप्रिय रेमंड की नींव 1925 में रखी गई थी। इसका पहला रिटेल शोरूम 1958 में मुंबई में खुला था। विजयपत ने कंपनी की कमान 1980 में संभाली थी। जो शेयर 2015 में पुत्र के भाग के तौर पर बांट दिए गए थे। वे लगभग 1हजार करोड़ रूपए की कीमत के थे। लड़के गौतम सिंघानिया ने उन्हें कुछ भी नहीं दिया। साथ ही उनके लिए किसी तरह की व्यवस्था तक नहीं की। हालात ये हो रहे हैं कि विजयपत सिंघानिया से वाहन चालक तक छिन लिया गया है और उनके पास आवाजाही हेतु वाहन तक नहीं है। नवाज शरीफ ने कहा पद से हटाकर 20 करोड़ पाकिस्तानियों का किया गया अपमान एंबे वैली की नीलामी पर रोक से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार, नीलाम होगी सहारा की एंबे वैली श्री राम जन्मभूमि, बाबरी मस्जिद को लेकर,शिया वक्फ ने रखा अपना पक्ष