उदाकिशनगंज. बिहार के मधेपुरा जिले के उदाकिशनगंज पीएचसी में शनिवार को अस्पताल परिसर में डॉक्टर धूप सेंकते रहे और अंदर भर्ती एक मरीज तड़प-तड़पकर मर गया. परिजनों के रोने की आवाज सुन डॉक्टर आए और मरीज को देख मृत घोषित कर दिया. डॉक्टर की अमानवीयता की हद तब हो गई जब शव ले जाने के लिए वाहन भी नहीं दिया गया. मृतक के भाई सुमित झा ने बताया कि “मेरे भाई योगेंद्र मिश्र को दो दिन पूर्व ठंड लगने से तबियत काफी खराब हो गई थी. मैं उन्हें शुक्रवार को पीएचसी लेकर गया था. उस समय अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डॉ. डीके सिन्हा खुद मौजूद थे. उन्होंने मेरे भाई को देखा और दवा देकर लिखकर भाई को घर ले जाने को कहा. शनिवार की सुबह फिर से तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल लेकर आया. उस समय डॉक्टर डीके सिन्हा अस्पताल में धूप सेंक रहे थे. उनसे कहा कि मरीज की हालत गंभीर है, जब तक पर्चा बनता है एक बार मरीज को देख लें. मगर वह अपनी जगह से नहीं हिले. एक घंटे बाद मेरे भाई की मौत हो गई.” डॉ सिन्हा ने कहा कि “शुक्रवार को ड्यूटी पर डॉ. इंदु भूषण कुमार थे. शनिवार को भी डॉ. गौतम कुमार की ड्यूटी थी. शनिवार की सुबह मरीज को मृत अवस्था में लाया गया था.” उधर डॉ. गौतम का कहना है कि जब मरीज को लाया गया तब वे ओपीडी में इलाज कर रहे थे. 800 में से 260 एचआईवी पीड़ित लापता भूसे के ढेर से बरामद हुई बच्चे की लाश आज रात ड्राइविंग करने वाले सावधान