नई दिल्ली : मुस्लिमों में तीन तलाक की प्रथा को खत्म कर इसे एक दंडनीय अपराध बनाने से जुड़े केंद्र के ड्राफ्ट बिल का आठ राज्यों ने समर्थन किया है. जबकि अन्य राज्यों के जवाब का इंतजार है. उल्लेखनीय है कि विधि मंत्रालय ने करीब एक पखवाड़े पहले जुबानी, लिखित या किसी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को देने पर प्रतिबंध लगाने और इसे एक दंडनीय और गैर-जमानती अपराध बनाने से जुड़े प्रस्तावित कानून पर सभी राज्य सरकारों से उनकी राय मांगी थी.इसमें मध्य प्रदेश, झारखंड और छह अन्य राज्यों ने ड्राफ्ट बिल पर सरकार का समर्थन किया है, जबकि अन्य राज्यों के जवाब की प्रतीक्षा की जा रही है.स्मरण रहे कि देश की सर्वोच्च अदालत ने सदियों से चली आ रही इस इस्लामिक प्रथा को अगस्त में मनमाना और असंवैधानिक बताया था. बता दें कि इस मसौदे बिल में अपनी पत्नियों को तीन बार 'तलाक' बोलकर तलाक देने वाले मुस्लिम पुरुषों को तीन साल की कैद की सजा देने और पीड़ित महिलाओं को उचित मुआवजा और अपने नाबालिग बच्चों की सुपुर्दगी मांगने की अनुमति देने का प्रस्ताव है. सुप्रीम कोर्ट के अगस्त के फैसले के बाद देश भर से तीन तलाक देने के 67 मामले सामने आए हैं, जिनमें यूपी के सर्वाधिक है .केंद्र ने इसका समाधान निकालने का उपाय सुझाने के लिए एक समिति बनाई जिसमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद, अलप संख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और दो राज्यमंत्री शामिलकिया गया है . यह भी देखें आधार अनिवार्यता पर आज लगेगी सुप्रीम कोर्ट की मुहर अब महिला वकील के चिल्लाने पर जस्टिस हुए नाराज