नई दिल्ली : स्वदेशी मेथानॉल को बढ़ावा देने के मकसद से सरकार 'मेथनॉल इकॉनमी फंड' पर विचार कर रही है. यह प्रयास 2030 तक भारत के कच्चे तेल के 10 फीसदी आयात का स्थान ले सकता है, इससे कच्चे तेल के बिल में करीब 30 फीसदी की कटौती होने की संभावना है. यह जानकारी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को दी. उल्लेखनीय है कि लोकसभा में गडकरी ने कहा कि नीति आयोग ने 'मेथनॉल अर्थव्यवस्था' के अंतिम रोडमैप में साल 2030 तक कच्चे तेल के आयात में वार्षिक 100 अरब डॉलर की कमी का लक्ष्य रखा गया है. नीति आयोग का लक्ष्य अकेले मेथनॉड के जरिए कच्चे तेल के आयात में साल 2030 तक 10 फीसदी कमी लाने का है, क्योंकि स्वदेशी ईंधन की लागत करीब 19 रुपये लीटर है, जो कि अन्य उपलब्ध ईंधन विकल्प से 30 फीसदी सस्ता है. बता दें कि गड़करी के बयान में कहा गया कि इस नवीनीकृत, वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देने के लिए एक 'मेथनॉल इकॉनमी फंड' पर चर्चा की जा रही है. अंतर्देशीय जलमार्ग और समुद्री क्षेत्र में मेथनॉल अर्थव्यवस्था में रूपांतरण को लेकर जल्द ही कैबिनेट नोट जारी कर दिया जाएगा. इसी दौरान नितिन गडकरी ने नागरिक विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू से एकल-इंजन सीप्लेन के लिए सभी सुरक्षा पहलुओं को ध्यान में रखकर नियामक व्यवस्था तैयार करने की भी मांग की. यह भी देखें McDonald's का नए साल का तोहफा अब ट्विटर और फेसबुक पर भी होगी गैस बुकिंग