नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र की समाप्ति हो गई लेकिन सरकार की झोली खाली रही . तीन तलाक़ और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने बिल संसद से पारित कराने में सरकार नाकाम रही. सरकार ने इस नाकामी का ठीकरा विपक्ष के माथे फोड़ दिया. उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने त्वरित तीन तलाक़ खत्म करने वाले बिल को 28 दिसंबर को लोक सभा में पेश करने के बाद सरकार के बहुमत के कारण पारित तो हो गया लेकिन राज्य सभा में विपक्ष के अड़ंगे से सरकार बहुमत की चुनौती पार नहीं कर पाई. हालाँकि सरकार ने जोर लगाया भी लेकिन उसके हाथ खाली रह गए. राज्य सभा में संख्या बल में कमज़ोर सरकार कुछ नहीं कर पाई . विपक्ष के हंगामे के चलते सरकार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्ज़ा देने वाले बिल को भी पारित नहीं करवा सकी. आपको बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान कुल 13 बैठकें हुईं, लोक सभा में जहां 91.58 फीसदी समय काम हुआ वहीं राज्य सभा में हंगामे और गतिरोध के कारण 56.29 फीसदी ही काम हुआ . इस दौरान लोक सभा में 13 और राज्य सभा में 9 बिल पारित हुए. 17 नए बिल भी पेश किए गए. दो बिलों में मिली असफलता के बावजूद संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने सत्र को सफल बताया. यह भी देखें संसदीय समिति ने पूछा सवाल, खाली क्यों चल रही हैं लक्जरी ट्रेनें शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन फंसा ‘तीन तलाक’ बिल