नई दिल्ली : देर से ही सही लेकिन किसी के मन में यह विचार आया कि जो नेता दोषी हैं, उनके द्वारा अपनी पार्टी का नेतृत्व नहीं करने देना चाहिए. इसी क्रम में अपराध मुक्त चुनाव प्रणाली स्थापित करने के लिए एक जन हित याचिका शीर्ष अदालत में दाखिल की गई. जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर ज़वाब माँगा है. उल्लेखनीय है कि यह जनहित याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट का ध्यान इस विसंगति की ओर दिलाया कि कानून के अनुसार दोषी नेता को नहीं चुनाव लड़ सकता लेकिन वह राजनीतिक दल में रहकर पदों पर बने रह सकता है. ऐसा व्यक्ति भी राजनीतिक दल गठित कर उसका अध्यक्ष बन सकता है जो हत्या, बलात्कार, तस्करी, धनशोधन, लूटपाट, देशद्रोह या डकैती जैसे जघन्य अपराधों का दोषी है.इस याचिका में चुनावी प्रणाली को अपराधमुक्त करने के लिए दिशा-निर्देशों की रूपरेखा तैयार करने की मांग की गई. बता दें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 29ए की वैधता एवं रूप रेखा की समीक्षा करने पर सहमति जताई और जनहित याचिका पर सरकार और निर्वाचन आयोग से शुक्रवार को जवाब मांगा. बेशक यह मामला कोर्ट में समय लेगा, लेकिन लोकतंत्र की शुचिता के लिए इसे एक जरुरी प्रयास समझा जा सकता है. यह भी देखें महाकाल पूजा मुद्दे पर SC की फटकार क्या फिर बदलेंगे दहेज़ उत्पीड़न के दिशा निर्देश ?