रायपुर. देश में किसानो की आत्महत्या आम बात हो गई है. हर राज्य में किसानो की आत्महत्या के भयावह आकड़े दर्ज है. अकेले छत्तीसगढ़ में 2015 से अब तक 1344 किसानों ने आत्महत्या की है. जय जवान जय किसान के नारे से आजाद भारत की शुरुआत करने वाले हिंदुस्तान में अन्नदाता का ये हाल सचमुच दयनीय है. दरअसल छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायक अमरजीत भगत ने राज्य के गृहमंत्री से इस बारे में जानकारी मांगी थी. विधायक अमरजीत भगत के सवाल का लिखित जवाब देते हुए गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा कि, वर्ष 2015 से अब तक राज्य में 1,344 किसानों ने आत्महत्या की है. विधायक अमरजीत ने पूछा, "छत्तीसगढ़ में वर्ष 2015-16 से 30 अक्टूबर 2017 तक प्रदेश के किस-किस जिले में कितनी संख्या में किसान आत्महत्या के मामले दर्ज हैं." गृहमंत्री रामसेवक पैकरा की ओर से लिखित जवाब आया कि, इस अवधि में प्रदेश में आत्महत्या के 14,705 मामले दर्ज किए गए. कांग्रेस विधायक ने जब पूछा कि इस अवधि में आत्महत्या करने वालों में कितने किसान थे और कितने अन्य लोग, तो गृहमंत्री ने कहा कि आत्महत्या करने वालों में 1,344 किसान थे और 13,361 अन्य थे. अमरजीत ने आगे पूछा, "इनमें से कितने लोगों ने आर्थिक तंगी और कितने लोगों ने कर्जदारी से पीड़ित होकर आत्महत्या की? सरकार की ओर से इन मृतकों के परिवारों को कितनी-कितनी सहायता राशि दी गई?" पैकरा ने कहा कि आर्थिक तंगी के कारण 13 और कर्जदारी से पीड़ित होकर 19 व्यक्तियों ने आत्महत्या की. शासन की ओर से 25 मृतकों के परिजनों को 16 लाख 35 हजार 924 रुपए की सहायता राशि दी गई." किसानों के लिए आयोजित सम्मेलन में किसानों से मारपीट और खेती न करे किसान - छत्तीसगढ़ सरकार अन्नदाता आत्महत्या करे या आन्दोलन ?