जब ऑटो कम्पनिया ख़राब समय से जुंझ रही थी तब ऐप बेस्ड कैब सर्विस उनके लिए संजीवनी का काम कर गई थी. कारो के बिक्री में एक दम से आई गिरावट वह जा कर संभल गई थी पर अब हालत बदल गयेहै. ऐप बेस्ड कैब सर्विस देने वाली उबर और ओला के बेड़े में शामिल नई कारों की ग्रोथ घटकर आधी रह गई है. कार कंपनियों ने बताया कि इंसेंटिव में बदलाव और कमर्शियल गाड़ियों में स्पीड लिमिट डिवाइस लगाए जाने के नियम के चलते फ्लीट सेल्स में गिरावट आई है. उबर के एक अधिकारी ने बताया, 'हम चाहते हैं कि हमारे ड्राइवर्स लगातार कमाते रहें. इसलिए हम उन्हें इकनॉमिकल और फ्यूल एफिशिएंट गाड़ी खरीदने की सलाह देते हैं. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कुछ कार कंपनियों की महंगी गाड़ियों की बिक्री प्रभावित हुई हो, लेकिन इसे राइडशेयररिंग सर्विस की डिमांड में कटौती से जोड़कर नहीं देखा जा सकता. कंपनी ने कहा कि उसका काम यह पक्का करना है कि भारतीय मार्केट में लोगों को सही गाड़ी की सवारी कराई जा सके. इस वित्त वर्ष में फ्लीट सेल्स में पिछले वर्ष के मुकाबले 45% की गिरावट आई है. ऐप बेस्ड कार कंपनियों में शामिल ज्यादातर कारें मारुति सुजुकी, हुंडई, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा की हैं. केंद्र सरकार के कमर्शियल व्हीकल्स में स्पीड रेगुलेट करने की डिवाइस लगाने के नोटिफिकेशन से भी फ्लीट सेल्स प्रभावित हुई है. मारुति सुजुकी के प्रवक्ता ने कहा, 'इंसेंटिव में बदलाव के चलते ऐप बेस्ड कैब सर्विस देने वाली कंपनियों की तरफ से कार की मांग कम हुई है. कारों में स्पीड लिमिट डिवाइस के फैसले का भी असर पड़ा है. 2018 में मारुती की तीन शानदार कारे कार लवर्स के लिए पेश है कुछ दिलकश मॉडल साल 2018 में लांच होंगे ये टॉप फाइव स्कूटर आ रही है बिना पेट्रोल-डीजल से चलने वाली कार