नई दिल्ली : आज 15 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें देश की अर्थ व्यवस्था से लेकर आम लोगों के हितों से जुड़े कई बिल पेश होने की सम्भावना है.इसके अलावा रोजगार के मोर्चे पर खराब हालत, किसानों के मुद्दे, महंगाई आदि पर संसद गर्मा सकती है.बता दें कि यह सत्र 5 जनवरी तक चलेगा. उल्लेखनीय है कि इस सत्र में जीएसटी (राज्‍यों को मुआवजा), 2017, इन्‍सॉल्‍वेंसी एंड बैंकरप्‍सी कोड (संशोधन) और इंडियन फॉरेस्‍ट (संशोधन), कंपनीज अमेंडमेंट बिल जैसे बिल पेश होने की सम्भावना है.वहीँ विपक्ष जीएसटी और नोटबंदी के असर पर एक बार फिर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा.बता दें कि संसद के इस शीतकालीन सत्र में अर्थव्यवस्था से जुड़े कई प्रमुख विधेयक पेश किये जाएंगे. सरकार इस सत्र में लेबर रिफॉर्म्‍स से जुड़ा बिल भी ला सकती है.हालाँकि श्रम संगठनों के विरोध को देखते हुए इसे वापस भी लिया जा सकता है.बता दें कि इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड बिल के तहत छंटनी की शर्तें आसान बनाने का प्रस्ताव था. लेकिन इससे बेरोजगारी बढ़ने का खतरा था. इसके अलावा सरकार इस सत्र में फाइनेंशियल रिजॉल्‍यूशन एंड डिपॉजिट बिल पेश कर सकती है. बता दें कि रिजॉल्‍यूशन कॉरपोरेशन नामक प्रस्‍तावित संगठन को अधिकार संपन्न बनाने से इसे ‘बेल-इन’ पॉवर्स कहा जा रहा है और इस संगठन के पास डूबते बैंक को उबारने की जिम्‍मेदारी होगी. लेकिन अफवाह यह भी है कि ‘बेल-इन’ पॉवर्स के तहत बैंकों में राशि जमा करने वाले डिपॉजिटर्स ही नहीं, बल्कि बैंकों के क्रेडिटर्स (जिनसे बैंकों ने पैसे लिए हैं, जैसे निवेशक) के भी पैसे नहीं लौटाने की बात कही जा रही है.हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि बैंकों के डिपॉजिटर्स के वर्तमान सभी अधिकारी न सिर्फ सुरक्षित रहेंगे, बल्कि उन अधिकारों को और मजबूत किया जाएगा. यह भी देखें शीतकालीन सत्र कल से - आज शाम होगी बैठक पार्लियामेंट ऑफ़ इंडिया में निकली भर्ती, जल्द करें आवेदन