नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को बेहद प्रभावशाली भाषण माना जाता है, पीएम मोदी जानते हैं कि, उनके भाषण में किए जाने वाले वादों से लोगों को आश्वासन मिलता है वे जो भी कह रहे हैं, वे जो बोल रहे हैं उसे ही नीतियों में लागू किया जाएगा। या फिर वे किए जाने वाले वादे को पूर्ण करेंगे। उनकी शक्ति की जड़ उनके भाषण में निहित है। कुछ लोगों का मानना है कि, भले ही कांग्रेस के लिए प्रमुखतौर पर प्रचार - प्रसार का कार्य कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कर रहे हों मगर पीएम मोदी का मुकाबला राहुल गांधी से कतई नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण को लेकर, अधिकांश विश्लेषकों ने इसे करीब 3 चरणों में विभाजित किया है। जिसमें महत्वाकांक्षी नेता जिसकी चाहत दिल्ली जीतने की थी और दूसरी पीएम मोदी ने देश, देशभक्ति व विकास की नई परिभाषा गढ़ दी। तीसरा चरण सत्ता, शासन और दक्ष्ता के गूढ़ अर्थ से जुड़ा है। पीएम नरेंद्र मोदी के शब्द सत्ता के शब्द हैं। इन सभी तीन चरणों में अहंकार नज़र आता है। इनके द्वारा, श्रोताओं को लुभाया या फिर, उन्हें वशीभूत किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बाॅडी लैंग्वेज सख्त है, इसमें धमकीभरा लहजा भी शामिल है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की शैली की बात करते हैं तो, यह बात सामने आती है कि, बलिदान और देशभक्ति की उनकी बोली में धार्मिकता और अहंकार से भरा एक अत्यधिक आत्मविश्वासी और दबंग व्यक्ति महसूस होता है। उनकी शैली सजीवता से भरी रहती है। वे जनता से बात करते नज़र आते हैं और लोगों के सामने कंडिशन्स दर्शाते हैं। पीएम मोदी के भाषणों का अंदाज़ ऐसा है जिसमें, यदि विकास की बात की जाए तो फिर विकास केवल एक शब्द नहीं रह जाता है उसमें उस क्षेत्र में हो रहा विकास सभा स्थल पर ही सभी की आंखों में घूमने लगता है। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री रूण जेटली के ही साथ यदि, भाजपा के नेता सीएम योगी आदित्यनाथ की बात करें, तो फिर यह बात सामने आती है कि, वे लड़ाका हैं, जब भाजपा के इन तीनों नेताओं द्वारा भाषण के माध्यम से प्रचार - प्रसार की बात की जाए तो फिर यह जानकारी सामने आती है कि, ये लोग कट्टरपंथी हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चतुर पार्टी प्रमुख की ही तरह संख्याबल का वादा करते हैं। दूसरे चरण के लिए आज पीएम मोदी और राहुल की जन सभाएं अब सामने आई, सलमान निजामी की सफाई गुजरात के चुनाव परिणाम देश की राजनीति में क्या गुल खिलाएंगे?