जीएसटी के कारण अहम रहा यह साल

अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देखें तो बीत रहा 2017 का यह साल आजादी के बाद 70वें साल में भारत में सबसे बड़ा आर्थिक सुधार वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के कारण अहम हो गया.जिसने देश को एकीकृत बाज़ार में तब्दील कर दिया. उल्लेखनीय है कि इस साल 1 जुलाई से लागू हुए जीएसटी लागू करने में हालांकि व्यापार और उद्योग को कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा.लेकिन अंततः अर्थ व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी.

बता दें कि जीएसटी की यह नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था, भारतीय बाजार को एकीकृत करती है. इसमें कर के लिए चार स्लैब - पांच फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी शामिल किए गए हैं.इसमें एक नई सुविधा इनपुट टैक्स क्रेडिट की दी गई है. सर्वोच्च संघीय संस्था जीएसटी परिषद ने 6 माह बाद बड़े पैमाने पर पुनर्मूल्यांकन कर 1,200 सामानों में से 50 को शीर्ष 28 फीसदी कर की सूची में रखा जिन्हें लक्जरी श्रेणी की वस्तुएं मानी जाती हैं.गत माह परिषद की बैठक में कई उपभोक्ता सामानों पर जीएसटी टैक्स में कटौती की गई, जिसमें चॉकलेट, च्यूइंग गम, शैम्पू, डियोडरेंट, शू पॉलिश, डिटरजेंट, न्यूट्रिशन ड्रिंक्स, मार्बल और कॉस्मेटिक्स शामिल हैं.तेल और गैस समेत पेट्रोलियम पदार्थो को अभी भी जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है, वहीं रियल एस्टेट क्षेत्र को भी जीएसटी के अंतर्गत रखने का मुद्दा लंबे समय से लंबित है.

हालाँकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर 5.7 फीसदी पर आ गई, लगातार पांच तिमाहियों की गिरावट के बाद विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सिंतबर) के दौरान तेजी दर्ज की गई और यह 6.3 फीसदी पर रही. इसके अलावा विश्व बैंक ने इस साल के आरम्भ में की गई घोषणा में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैकिंग 30 पायदान बढ़ गई और देश इस मामले में शीर्ष 100 देशों में शामिल हो गया

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