इस स्टेशन पर एक छोटे से बोर्ड पर गुजराती भाषा में लिखा है, 'बाल नरेंद्र यहां चाय बेचते थे.' यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बचपन में अपने पिता के साथ गुजरात जिस वडनगर स्टेशन पर चाय बेंचते थे, उस स्टेशन पर पटरियों की कमी बताई जा रही है. हालांकि वडनगर स्टेशन का मरम्मत और पुनर्निर्माण का काम बहुत तेज़ी से पूरा हुआ है, लेकिन ट्रेनों के आने-जाने के लिए पटरियों की कमी अब भी है. सिविल इंजीनियर अरविंद कुमार ने बताया कि “स्टेशन पर मरम्मत का काम चार महीने के अंदर पूरा कर लिया गया.” उन्होंने कहा, “हमने जून में काम शुरू किया था और सितंबर तक काम लगभग समाप्त हो गया था. हमने रात में दो बजे तक काम किया. लेकिन मुझे ये सोचकर हैरानी होती है कि वहां पटरियां बिछाने का कोई संकेत नहीं है. यहां तक कि प्लेटफॉर्म बनाने के काम में भी कोई जल्दी नहीं दिख रही, जिसे एक अन्य ठेकेदार संभाल रहे हैं.” वडनगर स्टेशन का पुनर्निमाण कर भव्य रूप दिया गया है, जहां गोल खंभे बनाए गए हैं, दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए अलग-अलग पार्किंग बनाई गई हैं. स्टेशन के अन्दर भीतर लंबे-चौड़े प्रतीक्षा कक्ष बने हैं, जिनमें से कुछ विशेष तौर पर महिला यात्रियों के लिए बनाए गए हैं. साथ ही एक प्रदर्शनी कक्ष भी तैयार किया गया है. पाकिस्तान के मंदिर से राम-हनुमान की मूर्तियाँ गायब प्रिंसिपल एक महीने से कर रहा था छात्रा से दुष्कर्म अपने अपहरण की शाजिश रच विरोधियों को फंसाने की चाल