भारत में लोग कब दिल से कहेंगे चक दे इंडिया!

भारत में कोई अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट इवेंट हो तो लोगों में उत्साह का संचार हो जाता है। जब मैच इंडिया का हो तो फिर तो कहने ही क्या। सुबह से ही खबरिया चैनल मैच का विश्लेषण प्रसारित करने में लग जाते हैं अलबत्ता वे क्रिकेट के पंडितों को बैठाकर यह भी तय कर देते हैं कि मैच का रूझान क्या रहने वाला है। लोग भी अपने चेहरे मोहरे को कुछ सजा धजाकर क्रिकेट स्टेडियम में पहुॅंच जाते हैं। जब मैच भारत पाकिस्तान के बीच हो तो फिर कहना ही क्या। फिर तो बस सभी टेलिविजन सेट के आगे बैठे रहते हैं।

मगर जब बात महिला क्रिकेट की या किसी और खेल की हो तो फिर लोगों का उत्साह कम हो जाता है। चलिए एक प्रयोग ही करके देख लेते हैं। आप टीम इंडिया की महिला क्रिकेट टीम की कितनी महिला खिलाड़ियों के नाम जानते हैं। मिताली जयराज, अंजुम चोपड़ा, हरमनप्रीत और, जी शायद आपके दिमाग में इतने नाम भी नहीं आ रहे हैं। चलिए अब भारतीय हाॅकी की बात करते हैं। आप कहेंगे रहने दीजिए। अजी रहने क्यों दें।

यह तो भारत का राष्ट्रीय खेल है। राष्ट्रीय खेल होने के बाद भी इस खेल को लेकर लोगों के बीच चाव बेहद कम है। खेल दिवस पर खेलों की बात तो बहुत होती है। मगर हाॅकी के जादूगर मेजर ध्यान को स्मरण करने वाले गिनती के ही लोग होते हैं। साथ ही इस दिन हाॅकी को लेकर चिंतन भी नहीं किया जाता। योग, संतुलन, फुर्ती का शानदार खेल मलखंभ भी उपेक्षा का शिकार है। क्या आप जानते हैं इस खेल को मध्यप्रदेश के राज्य खेल का दर्जा मिला हुआ है।

मगर इसके बाद भी यह उपेक्षित है। हालांकि रियलीटी शोज़ में कुछ खिलाड़ियों ने इसे प्रदर्शित कर इसके प्रति युवाओं में रूझान जरूर बढ़ाया है लेकिन गठिला और प्रदर्शन के लिए अनुकूल शरीर का गठन करने की युवाओं की चाह ने उनके रूझान को शरीर सौष्ठव तक ही सीमित रखा है। ऐसे में मलखंभ उपेक्षित ही रहा है। भारत मलखंभ और जिमनास्टिक के शानदार समायोजन से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकता है। हालांकि ये दोनों खेल अपने आप में अलग हैं मगर फुर्ती, संतुलन, लोच, गति, सामंजस्य इन खेलोें के लिए आवश्यक है।

विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप :विमल कुमार ने साइना की हार का यह बताया कारण

अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ ने भारतीय क्रिकेट टीम को किया आगाह

टेनिस सनसनी मारिया शारापोवा की यूएस. ओपन में शानदार वापसी

Related News