जब सोनिया गाँधी ने खुद को वंशवाद से ऊपर उठाया

सोनिया गाँधी ने आज कहा है कि अब में रिटायर हो जाउंगी. संसद के शीतकालीन सत्र में शामिल होने आई सोनिया गाँधी ने ये बात आज सुबह पत्रकारों से कही. सोनिया जी के 19 साल के राजनितिक सफर पर डालिये एक नज़र.

2004 के आम चुनावो में कांग्रेस और सहयोगी दलों कि जीत के बाद किसी ने नहीं सोचा होगा कि उनका अगला प्रधान-मंत्री गाँधी परिवार से नहीं होगा. ‘प्रधानमंत्री का पद पाना मेरा ध्येय नहीं है. मैं हमेशा सोचती थी कि यदि कभी मैं ऐसी स्थिति में आयी जैसी आज है, मैं अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनूंगी. मैं पूरी विनम्रता से पद लेने से इनकार कर रही हूं.’ सोनिया गांधी के इस बयान से मई, 2004 में पूरा देश सन्न रह गया था.

सोनिया का यह बयान 2004 के आम चुनाव के बाद कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए को बहुमत मिलने पर आया था. सोनिया 1994 में राजनीति में आयीं थीं. लेकिन छह साल में ही वह भारतीय राजनीति के क्षितिज पर छा गयीं. 2004 का चुनाव भाजपा ने ‘इंडिया शाइनिंग’ के नारे पर लड़ा था. तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए अजेय लग रहा था. लेकिन सोनिया ने चुनाव अभियान में इस नारे को खोखला बताया और कहा कि देश की आर्थिक प्रगति का फायदा करोड़ों गरीबों तक नहीं पहुंच रहा है और उनकी यह बात चुनाव में असरदायी रही. इसके आलावा भी कई मौको पर सोनिया ने बड़े पदों से परहेज़ किया है. अपनी और से हमेशा उन्होंने पार्टी के पुराने नेताओ को तवज़्ज़ो दी.

 

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