रेल राज्यमंत्री राजेन गोहेन ने लोकसभा में कहा कि “भारतीय रेलवे मार्च 2019 तक सभी ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाने की योजना बना रही है. इसके लिए रेलवे ने सभी ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाने का निर्देश जारी किया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी रेलवे कार्यशालाओं को अनिवार्य रूप से सेवा में उपयोग किए जा रहे कोचों में उनके मरम्मत व सुधार के दौरान बॉयो टॉयलेट लगाने के निर्देश दिया गया है.”
मंत्री राजेन गोहेन ने कहा कि "स्वच्छ भारत' की दिशा में बॉयो टॉयलेट एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे ट्रैक साफ रहते हैं." गोहेन ने कहा, “भारतीय रेल के करीब 55 फीसदी यात्री कोच को बॉयो टॉयलेट से लैस कर दिया गया है. मौजूदा उपयोग किए जा रहे कोचों में बॉयोटॉयलेट की रिट्रो फिटिंग सीमित हद तक कोच डिपो में की जा रही है.
रेलवे और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा संयुक्त रूप से बायो टॉयलेट का अविष्कार किया गया है. इन बायो टॉयलेट में शौचालय के नीचे बायो डाइजेस्टर कंटेनर में एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं, जो मानव मल को पानी और गैसों में तब्दील कर देता है. दूषित जल को क्लोरिनेशन के बाद पटरियों पर छोड़ दिया जाता है और गैसों को वातावरण में छोड़ दिया जाता है. इससे पटरियों पर गंदगी नहीं फैलती है.
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