नई दिल्ली. देश में इस साल हो रही पत्रकारों की हत्या का सिलसिला चिंता का विषय बनता जा रहा है. पूरा देश उस समय स्तब्ध रह गया जब वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई. इसके बाद से यह मुद्दा पत्रकार सुरक्षा पर सवालिया निशान बनकर उभरा. अकेले साल 2017 में ही मीडियाकर्मियों पर हमलों की विभिन्न घटनाओं में नौ पत्रकारों की मौत हो गई.
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने भी भारत में पत्रकारों की हत्याओं की निंदा की है. वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पत्रकारों की हत्याओं को रोकने के लिए राज्यों को परामर्श जारी किया और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के निर्देश दिये. पत्रकार संगठन एनयूजे-आई के अध्यक्ष रासबिहारी ने कहा कि “भारत जैसे देश में पत्रकारों की हत्या चिंता का विषय है.” उन्होंने कहा कि “पत्रकारों की सुरक्षा के लिए केंद्र को अलग से पत्रकार सुरक्षा कानून बनाना चाहिए.”
रासबिहारी ने आगे कहा कि उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को ज्ञापन सौंपा है. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के महासचिव विनय कुमार ने इस संबंध में कहा कि “पत्रकारों की हत्या अत्यंत निंदनीय है और प्रेस क्लब तथा अन्य संगठनों के पदाधिकारियों ने इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात की थी. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए परामर्श जारी किया था, लेकिन फिर भी ऐसी घटनाओं का न रुक पाना चिंताजनक है."
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