देश में शिक्षा की हालत तो काफी नाजुक होते जा रही है, लेकिन अब धीरे-धीरे देश के अलग-अलग राज्यों का नाम भी इस बदतर शिक्षा नीति में सामने आ रहा है. जहां हाल ही में CAG द्वारा जारी रिपोर्ट में यह खुलासा सामने आया था कि, मध्य प्रदेश के हालात शिक्षा के क्षेत्र में काफी खराब होते जा रहे है. और प्राइमरी विद्यालय के करीब 80 फीसदी बच्चें ठीक से हिंदी भी नहीं पढ़ पाते हैं, वही दूसरी ओर झारखण्ड के हालात भी मध्य प्रदेश के समरूप ही पाए गए है.
नीति आयोग के एक प्रजेंटेशन के अनुसार, झारखंड में बच्चों के स्वास्थ्य, बच्चाें में कुपाेषण, प्राथमिक शिक्षा, डॉक्टरों की उपलब्धता और गांवों में बिजली पहुंचाने की स्थिति बदतर है. नीति आयोग ने यह प्रजेंटेशन वित्तीय मामलों की संसदीय समिति के सामने शुक्रवार को प्रस्तुत किया. प्रजेंटेशन के मुताबिक, देश के पिछड़े 115 जिलों में झारखंड के 19 जिले शामिल हैं. यह प्रजेंटेशन नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी निदेशक अमिताभ कांत ने दिया.
इस प्रजेंटेशन के तहत अब नीति आयोग झारखण्ड समेत 3 और राज्यों की शिक्षा स्थिति में सुधार के लिए अलग रणनीति बना रहा है. नीति आयोग के सीइओ ने प्रजेंटेशन में बताया कि, देश के पिछड़े जिलों की हालत में सुधार लाने के लिए नई रणनीति तैयार की जा रही है. सूची तैयार कर ली गयी है. जिसमे 115 जिले सम्मिलित है, और इन 115 जिलों में झारखंड के 19 जिले हैं.
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