देश में आये दिन शिक्षा के क्षेत्र में कई प्रकार के घोटाले होते रहते है. जहां कभी छात्रों से फीस के नाम पर वसूली की जाती हैं, तो कभी अनुचित परिणाम देकर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जाता हैं. हाल ही में जीवाजी विश्वविद्यालय में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला है. जीवाजी विवि हमेशा से ही परिणाम को लेकर सुर्ख़ियों में रहता है. बुधवार को यहां एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां छात्रा को 30 अंको की परीक्षा में 232 अंक प्रदान किये गए है.
कल बुधवार को विश्वविद्यालय में एक छात्रा के भाई ने आकर बताया कि, उसकी बहन को 30 अंकों की परीक्षा में 232 अंक दे दिए गए हैं. कारण यह है कि, बीए फर्स्ट सेमेस्टर की दिसम्बर-16 की परीक्षा में छात्रा को डेवलपमंड ऑफ इंटरप्रिन्योरशिप की आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा में 30 में से 232 अंक दर्ज थे. खास बात यह है कि, इस अंक सूची में स्पष्ट रूप से परीक्षा स्कीम का स्पष्ट लेख है. जिसमें अधिकतम 30 अंकों की इस परीक्षा में न्यूनतम उत्तीर्णांक 10 होने का उल्लेख है.
इस मामले में अधिकारियों का कहना था कि, यह लापरवाही विशुद्ध रूप से परीक्षा परिणाम तैयार करने वाली लर्निंग स्पाइरल प्रालि कोलकाता की है. वहां कंपनी ने यदि सॉफ्टवेयर में अंक स्कीम डाली होती तो सॉफ्टवेयर ही इस गलती की पकड़ कर लेता. अधिकारियों का कहना था कि, कंपनी की इस तरह की लापरवाही के कारण विश्वविद्यालय को अकारण परेशानी झेलनी पड़ रही है.
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