एक मूक-बधिर रेप पीड़िता को आजीवन 30000 रुपये प्रतिमाह मुआवजा देने के हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले में सूप्रीम कोर्ट ने बदलाव करते हुए कहा कि पीड़िता के लिए मुआवजे के भुगतान का कोई उचित इंतजाम होना चाहिए. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को पीड़िता को एकमुश्त 15 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है. 80 फीसदी दिव्यांग दुष्कर्म पीड़िता ने रेप के बाद 2016 में एक बच्ची को जन्म दिया था.
हिमाचल सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कहा था कि, “ऐसे मामलों में यह सर्वाधिक मुआवजे की योजना के विपरीत है, जिसके तहत पीड़िता की मौत या 80 फीसदी दिव्यांगता की स्थिति में 1 लाख रुपये मुआवजा दिया जाता है.” न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, “हमने हाईकोर्ट के फैसले में बदलाव करते हुए राज्य सरकार को एकमुश्त 15 लाख रुपये देने का निर्देश दिया है.” पीठ ने हिमाचल प्रदेश के सदस्य सचिव की सहमति से मुआवजे की राशि को किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में पीड़िता के नाम, मासिक ब्याज के भुगतान वाली सावधि जमा योजना में जमा करवाने को कहा.
पीठ ने कहा कि, “उस जमाराशि का मासिक ब्याज पीड़िता के अभिभावकों के जीवित रहने तक उन्हें दिया जाए. इसके अलावा समय-समय पर यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए कि वह राशि पीड़िता के कल्याण के लिए खर्च किए जा रही है या नहीं.”
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