गैंग ऑफ वासेपुर' और 'फुकरे' जैसी सुपरहिट फिल्मों के जरिये लोगों के बीच अपनी ख़ास पहचान बनाने वाली अभिनेत्री ऋचा चड्ढा इन दिनों लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. ऋचा चड्ढा का मानना है कि, देश में महिला सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में अभी भी महिलाओं और पुरुषों के बीच संतुलन बिगड़ा हुआ है.
हाल ही में हुए एक इंटरव्यू में ऋचा चड्ढा ने कहा कि, "लोग चाहते हैं कि वे जल्दी से किसी पर भी लेबल लगा दें कि फलां आदमी ऐसा है, फलां वैसा है, ताकि उनके समझने के लिए आसान हो जाए, लेकिन असल में कोई भी शख्स फिल्म में अपने किरदारों जैसा नहीं होता. मैं खुद को बोल्ड नहीं ईमानदार मानती हूं." इसके अलावा ऋचा का कहना है कि, "निर्माता सिर्फ वही नहीं होता, जो फिल्म में पैसा लगाए, बल्कि निर्माता पर पैसा लाने की भी जिम्मेदारी होती है, जो फिल्म को बेहतर तरीके से प्रमोट करे उसे ठीक से रिलीज करा पाए. बहुत तकलीफ होती है जब आप मेहनत करते हैं और निर्माता में अच्छे से फिल्मों को रिलीज करने की हिम्मत या दिमाग नहीं होता. उनमें दिमाग होना भी जरूरी है."
ऋचा ने अपने करियर की शुरुआत दरअसल 2008 में की थी. लेकिन उनका मानना है कि, "मैं 2012 की फिल्म 'गैंग ऑफ वासेपुर' को अपनी असल शुरुआत मानती हूं क्योंकि उसी के बाद मैंने मुंबई शिफ्ट होकर फिल्मों में काम करने का मन बनाया.
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