इस समय सरकारी बैंक बेहद परेशानी भरे दौर से गुजर रहे है इसको लेकर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और मूडीज ने भारतीय बैंकों पर जारी अपनी रिपोर्ट में सबसे खराब दौर कहा है. वहीँ अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने परोक्ष तौर पर कुछ ऐसी ही बातें कही हैं. जिसे वो मौजूदा हालात से निकल सके.
आरबीआइ ने सीधे तौर पर तो नहीं कहा है लेकिन बैंकों के ढांचे को सुधारने के लिए उसने एक नौ सूत्रीय फॉर्मूला दिया है. जिसका मतलब यही है अब इन बैंकों के हालात को बेहतर बनाने के लिए कई स्तरों पर काम करना होगा. बताई गई बातों में पहली बात यह है कि ग्राहकों की मांग और जरूरत के मुताबिक इन बैंकों को वित्तीय सेवा उत्पाद उतारने होंगे. इन्हें हर कीमत पर कर्ज की रफ्तार बढ़ानी होगी, ताकि निवेश की प्रक्रिया को बढ़ावा मिले. वहीं दूसरा बात यह है कि बैंकों को अपनी बैलेंस सीट को दुरुस्त करना होगा. इसके लिए इन्हें सरकार की तरफ से तैयार दिवालिया कानून इंसॉल्वेंसी व बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) का सहारा लेना होगा.
तीसरा बात यह है कि वे ग्राहकों की शिकायतों को सुलझाने के लिए विशेष निकाय का गठन करें. यह निकाय ग्राहकों के हितों की रक्षा के मौजूदा तंत्र को मजबूत बनाएगा. चौथा बात यह है कि केंद्रीय बैंक ने कॉरपोरेट गवर्नेस के बारे में देते हुए कहा है कि इसे बढ़ावा देने से बैंक और देश का वित्तीय ढांचा दोनो मजबूत होंगे. इसके लिए बैंकों को सारे नियम कानूनों को मजबूती से लागू करने का सुझाव दिया गया है. इस तरह बैंक कुछ हद तक सफल हालात में आ सकती है.
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