नई दिल्लीः तीन तलाक विरोधी बिल ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' बुधवार को राज्यसभा में आ सकता है. इसी बीच कांग्रेस के सन्दर्भ में कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्यसभा में पार्टी अपना स्टैंड बदल सकती है. भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, ऐसे में उसे इस बिल को पास करवाने के लिए विपक्षी दलों का समर्थन भी हासिल करना होगा.
मोदी सरकार इसी सत्र में ही इस बिल को राज्यसभा से पारित कराना चाहती है. कांग्रेस चाहती है कि बिल में एक बार में तीन तलाक कहने को 'अपराध' बताने वाले क्लॉज को हटा दिया जाए, जबकि भाजपा कोई संशोधन नहीं करना चाहती. कांग्रेस का मानना है कि बिल में किए गए प्रावधान के तहत शौहर का जेल जाना तय होगा और ऐसे में इसका असर पीड़ित महिला को मिलने वाले मुआवजे पर पड़ सकता है. साथ ही दोनों के बीच सुलह की कोशिशों को भी इससे झटका लग सकता है. वहीं कांग्रेस यह भी नहीं चाहती कि वे इस ऐतिहासिक बिल के आगे रोड़ा बने, जिससे कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि को लेकर कोई सवाल खड़े करे और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी पर असर हो.
वैसे भी राहुल इन दिनों काफी बदल गए हैं और हर फैसला सोच-समझ कर ले रहे हैं. राहुल जानते हैं कि उनके पिता राजीव गांधी के शासनकाल में शाह बानो प्रकरण ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया और वे इस गलती को दोबारा नहीं दोहराना चाहते.
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