झारखंड में एक आदिवासी नेता ने राजनीति में अपना सिक्का जमाने के लिए आदिवासी बहू-बेटियों कि इज्ज़त उछाल दी. आदिवासी महासभा के नेता रामाश्रय सिंह ने प्रतिवाद के नाम पर खिंची गई आदिवासी महिलाओं की निर्वस्त्र तस्वीरें, सोशल मीडिया पर डाल दी. यही नहीं, इन तस्वीरों को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को बतौर ज्ञापन और प्रेस विज्ञप्ति के रूप में भी भेजा. इसे बाद आदिवासी समुदाय और पूरा राज्य इस आदिवासी नेता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है.
यह तस्वीरें रामाश्रय ने सिर्फ इस शर्त पर खिंचवाई थीं कि यह राज्य सरकार को भेजी जाएंगी, लेकिन उसने सरकार को तस्वीरें भेजने के साथ ही उन्हें फेसबुक पर डाल दिया, जो वायरल हो गई. यह बात जब महिलाओं के गांवों में पहुंची तो आदिवासी समाज आक्रोशित हो गया. इस घटना को लेकर पूरे झारखंड में प्रदर्शन कर रामाश्रय के खिलाफ केस दर्ज किये जाने की मांग हो रही है.
पीड़ित महिलाओं ने बताया कि डीवीसी में बच्चों की नौकरी के नाम पर यह तस्वीरें रामाश्रय की महिला कार्यकर्ता ने खिंची थी. हमें नहीं पता था कि यह फोटो सार्वजनिक कर दी जाएंगी. हमारे साथ धोखा हुआ है. वहीं, इस बारे में रामाश्रय का कहना है कि “मैंने फोटो सोशल मीडिया पर डालकर गलती की. इसके लिए मैं दुखी हूं. सभी फोटो सोशल मीडिया से हटा ली गई है.” उन्होंने कहा कि “डीवीसी नौकरियों के लिए 50 साल से समाज संघर्ष कर रहा है. 30 बार सरकार ने समझौता किया, लेकिन मुकर गई.”
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