नोबेल पुरस्कार विजेता और भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के ऊपर बनी डॉक्यूमेंट्री 'द आर्ग्यूमेंटेटिव इंडियन' अब भारतभर में बिना किसी कट के दिखाई जाएगी. फिल्म निर्माता सुमन घोष ने गुरुवार को बताया कि फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से हरी झंडी मिल गई है. जुलाई में प्लानिंग के अनुसार यह डॉक्यूमेंट्री रिलीज नहीं हो पाई थी क्योंकि घोष ने पहलाज निहलानी के अंतर्गत बोर्ड द्वारा जारी आदेश को मानने से इंकार कर दिया था. बोर्ड ने उस समय गाय और गुजरात जैसे शब्दों को बीप करने के लिए कहा था, जिन्हें सेन फिल्म में बोलते हुए दिख रहे थे. गुरुवार दोपहर को बोर्ड की क्षेत्रीय रिव्यू समिति ने मुंबई में 60 मिनट की डॉक्यूमेंटी को देखा और इसे हरी झंडी दे दी.
घोष ने इसे राहत और सुखद आश्चर्य बताया है. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि, "सीबीएफसी अध्यक्ष प्रसून जोशी के साथ मेरी मीटिंग काफी अच्छी रही. जोशी ने कहा कि उन्हें डॉक्यूमेंट्री काफी पसंद आई और यह पूरी तरह से तल्लीन लगी. उन्होंने कहा कि इससे उन्हें अमर्त्य सेन के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला. उन्हें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा और इसे बिना किसी कट के क्लीयर कर दिया गया है. उन्होंने हर तरह की आपत्तियों को खारिज कर दिया. मेरा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास फिर से लौट आया है. खासतौर से मेरी फिल्म के मामले में."
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 11 जुलाई को जब घोष ने बोर्ड के दफ्तर में फिल्म दिखाई तो उन्हें बताया गया कि फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा लेकिन उन्हें गुजरात, हिंदू भारत, गाय और हिंदुत्व नजरिए से भारत जैसे फिल्म में इस्तेमाल किए गए शब्दों को देश के राजनीतिक वातावरण के मद्देनजर बीप करना पड़ेगा. इसके बाद 14 जुलाई को घोष ने 101 सेकेंड के ट्रेलर को यूट्यूब पर अपलोड कर दिया. उनके इस कदम को निहलानी ने गैरकानूनी करार दिया था.
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