नई दिल्ली। गुरूवार को केंद्र सरकार ने लेबर बिल लोकसभा में पेश किया। इस बिल को लेकर विपक्ष ने जमकर विरोध किया। विपक्ष द्वारा कहा गया कि सरकार द्वारा अल्प सूचना पर बिल प्रस्तुत किया गया। श्रम मंत्री द्वारा कहा गया कि इस पर चर्चा कुछ समय बाद की जाएगी। सरकार की ओर से कहा गया कि प्रति 5 वर्ष में न्यूनतम मजदूरी की समीक्षा की जाएगी। इसका निर्धारण पैनल द्वारा किया जाएगा।
इस पैनल में नियोक्ताए श्रमिकों व प्रतिनिधियों के अतिरिक्त स्वतंत्रजन भागीदारी करेंगे। इसका प्रावधान किया गया जिसमें किसी मजदूर को वेतन कम दिया गया तो फिर उसके आॅनर पर 50 हजार रूपए का जुर्माना आरोपित किया जा सकता है यही नहीं 5 वर्ष के दौरान ऐसा फिर हुआ तो लगभग 1 लाख रूपए जुर्माना या फिर 3 माह की जेल या दोनों सजाऐं देने का प्रावधान भी है।
मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में न्यूनतम मजदूरी की समीक्षा प्रति 5 वर्ष में विभिन्न मानकों को ध्यान में रखकर की जा सकती है। इस तरह का निर्धारण कैनल द्वारा किया जाएगा। इस बिल में कहा गया कि मासिक आधार वालों को आगामी महीने की 7 तारीख तक वेतन देना होगा। इस मामले में श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि नए बिल में 1936ए 1948ए 1965 और 1976 के नियम का समावेश हो जाएगा। जिसमें श्रमिक के अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता है।
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