मुंबई। देशभर में बड़े पैमाने पर किसानों की आत्महत्याओं की घटनाऐं सामने आ रही हैं। किसान आत्महत्या के चलते, देशभर के कई ग्रामीण क्षेत्रों में किसान मौत को गले लगा चुके हैं। हालात ये हैं कि, कई बार किसान आंदोलन हो चुके हैं, कुछ क्षेत्रों में सरकारों ने किसान माफी के लिए प्रयास किए तो कई राज्य और क्षेत्र ऐसे रहे जहां किसानों को अभी भी कर्ज से मुक्ति नहीं मिल पाई है।
महाराष्ट्र राज्य में बीते 17 वर्ष में 26339 किसानों ने आत्महत्या की। दूसरी ओर, 12805 किसानों के परिजन को मुआवजे हेतु पात्र माना गया। मगर दूसरी ओर, 13526 किसान परिवार मुआवजे से वंचित हो गए। यह जानकारी तब सामने आई, जब महाराष्ट्र राज्य विधानमंडल में किसान आत्महत्या को लेकर, विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने प्रश्न किया।
नागपुर में विधानमंडल का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ था। जिसमें, किसान आत्महत्या को लेकर, कुछ विधायकों ने सवाल किए। इन लोगों ने, मुआवजा प्राप्त करने के लिए, प्रयास किए, मगर इन लोगों को मुआवजा नहीं मिल पाया। कुछ किसानों ने सूखा, कर्ज और वसूली से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी।
किसानों की परेशानियां बढ़ रही हैं दूसरी ओर जहां मध्यप्रदेश में किसानों के लिए भावान्तर भुगतान योजना जैसी योजनाऐं चलाकर उनके गुस्से को ठंडा किया जा रहा है तो उत्तरप्रदेश में किसान ऋण मोचन पत्र वितरित कर किसानों को लाभ देने की बात कही जा रही है।
किसानों के पटरी पर लेटने से आई मुसीबत