नईदिल्ली। डोकलाम में यूॅं तो चीन के सैनिक पीछे हट गए हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारतीय सेना की मारक क्षमता बढ़ाने को लेकर किए जाने वाले बदलावों की घोषणा की है। जिसके तहत ब्रिटिश राजव्यवस्था के तहत सिग्नल्स एवं इंजीनियरिंग काॅर्पस, आॅर्डनेंस इकाईयों के पुनर्गठन, कुछ इकाइयों के विलय व मिलिट्री फाॅर्मस को बंद करने की कवायद शामिल हैं। इस मामले में केंद्रीय रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि स्वाधीनता के बाद भारतीय सेना में इस तरह का बदलाव हुआ है।
हालांकि उन्होंने कहा कि बदलाव का निर्णय डोकलाम को लेकर नहीं लिया गया है। सेना की क्षमता को बढ़ाने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेकटकर की समिति द्वारा कुछ सुधारों की सिफारिश की। इस दौरान लगभग 99 सुझाव दिए गए थे। बताया गया है कि सेना की भाषा में इसे टीथ टू ट्रेल रेशियोश कहा जाता है। जो कमेटी इन बातों की सिफारिश कर रही थी उसके करीब 65 सुझाव मान लिए गए।
केंद्रीय मंत्री जेटली ने कहा कि समिति का गठन बलों की मारक क्षमता बढ़ाने और रक्षा का लेकर होने वाले व्यय के पुर्नसंतुलन की सिफारिशों को प्रदान करने के लिए कहा गया था। यह बात सामने आई है कि शेकटकर समिति की सिफारिशों के तहत किए जा रहे सुधार कार्य के तहत सेना के 39 फार्म बंद किए जाएंगे, जिनमें से कुछ पहले ही बंद किए जा चुके हैंए और इन जमीनों को डिफेंस एस्टेट ऑफिस में तब्दील किया जाएगाए जो बाद में सेना की विभिन्न इकाइयों को उस समय मिली मंजूरियों और आकार के आधार पर भूमि मुहैया कराएगा।
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